बीजिंग: वैश्विक कूटनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत चीन ने एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन की स्थापना की है, जिसका उद्देश्य वैश्विक विवादों को शांतिपूर्ण, गैर-आक्रामक तरीकों से सुलझाना है. International Organization for Mediation (IOMed) नामक यह संस्था अब अंतरराष्ट्रीय विवाद निपटारे की पारंपरिक व्यवस्था—जैसे कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) और स्थायी पंचाट न्यायालय (PCA)—का संभावित विकल्प बनकर उभर रही है.
शांति की नई संरचना: IOMed का जन्म
हॉन्गकॉन्ग में आयोजित एक उच्चस्तरीय समारोह में चीनी विदेश मंत्री वांग यी की उपस्थिति में इस संगठन की आधिकारिक घोषणा की गई. वांग ने इसे वैश्विक शांति और सहयोग के लिए चीन की प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया और कहा, “IOMed ऐसी व्यवस्था को जन्म देता है जो जीत-हार की मानसिकता से ऊपर उठकर, समभाव से विवाद समाधान की संस्कृति को बढ़ावा देगा.”
इस ऐतिहासिक पहल में 33 देशों ने संस्थापक सदस्य के रूप में हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें पाकिस्तान, इंडोनेशिया, क्यूबा, कंबोडिया और बेलारूस जैसे देश प्रमुख हैं. IOMed का मुख्यालय हॉन्गकॉन्ग में स्थापित किया जाएगा, जिसे चीन ने वैश्विक मध्यस्थता का नया केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा है.
सिर्फ मध्यस्थता, कोई मजबूरी नहीं
IOMed की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि यह केवल “स्वैच्छिक मध्यस्थता” पर आधारित है. यानी इसमें किसी भी पक्ष पर निर्णय थोपे नहीं जाएंगे. कोई भी निर्णय तभी मान्य होगा जब सभी पक्ष उस पर सहमत हों. यह लचीली कार्यप्रणाली IOMed को उन देशों के लिए आकर्षक बनाती है जो कानूनी जटिलताओं और राजनीतिक दबाव से बचते हुए समाधान की तलाश में रहते हैं.
हॉन्गकॉन्ग: वैश्विक मध्यस्थता का नया केंद्र?
हॉन्गकॉन्ग के मुख्य कार्यकारी जॉन ली ने संगठन को पूर्ण समर्थन देने की बात कही और कहा, “हॉन्गकॉन्ग की कानून व्यवस्था और वैश्विक संपर्क इसे अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए आदर्श मंच बनाते हैं.”
चीन के लिए रणनीतिक अवसर
विश्लेषकों का मानना है कि IOMed की स्थापना वैश्विक दक्षिण (Global South) में चीन के कूटनीतिक और आर्थिक प्रभाव को और गहरा कर सकती है. खासकर उन देशों में, जो पारंपरिक पश्चिमी नेतृत्व वाले संस्थानों को पक्षपातपूर्ण मानते हैं. यह पहल चीन की “शांति के माध्यम से नेतृत्व” (Leadership through Peaceful Engagement) की रणनीति का हिस्सा प्रतीत होती है.
संभावनाएं और चुनौतियाँ
जहाँ एक ओर यह संगठन विवाद समाधान में एक लोकतांत्रिक और संवाद-आधारित विकल्प प्रस्तुत करता है, वहीं इसकी निष्पक्षता और पारदर्शिता पर संदेह भी जताए जा रहे हैं. चीन की आक्रामक ऋण नीति, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की जटिलताओं और क्षेत्रीय विस्तारवाद के चलते कई विशेषज्ञ इस नई संस्था को एक “कूटनीतिक उपकरण” मानते हैं, न कि पूरी तरह स्वतंत्र मध्यस्थ मंच.
हालांकि चीन ने स्पष्ट किया है कि IOMed संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का पालन करेगा.
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