बीजिंग: चीन ने हाल ही में एक उन्नत सैन्य रडार प्रणाली का अनावरण कर सैन्य तकनीक की दुनिया में हलचल मचा दी है. JY-27V नामक यह रडार सिस्टम अब तक की सबसे अहम तकनीकी छलांग मानी जा रही है, जिसे चीन ने सार्वजनिक रूप से पहली बार अनहुई प्रांत के हेफेई में आयोजित एक वैश्विक रडार एक्सपो में प्रदर्शित किया.
यह रडार विशेष रूप से अमेरिका के स्टील्थ फाइटर जेट्स F-22 और F-35 जैसे उन्नत विमानों की निगरानी करने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया है. चीन की सरकारी कंपनी चाइना इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी ग्रुप कॉर्पोरेशन (CETC) द्वारा विकसित यह रडार, एक ट्रक-माउंटेड मोबाइल सिस्टम है, जो इसे युद्धक्षेत्र में लचीलापन और तेज़ी से तैनाती की क्षमता प्रदान करता है.
क्या है JY-27V की ताकत?
JY-27V, चीन के पिछले संस्करण JY-27A का अत्याधुनिक अपग्रेड है. इसमें शामिल है:
दक्षिण चीन सागर में तैनाती की योजना
चीनी मीडिया रिपोर्ट्स, विशेषकर साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट, के अनुसार JY-27V को जल्द ही दक्षिण चीन सागर और ताइवान स्ट्रेट में तैनात किया जा सकता है. इन क्षेत्रों में चीन और अमेरिका के बीच वायु गतिविधियां अक्सर तनावपूर्ण रहती हैं, और यह नया रडार चीन को अमेरिकी फाइटर जेट्स की गतिविधियों पर बेहतर नज़र रखने में मदद करेगा.
स्टील्थ फाइटर का भविष्य सवालों के घेरे में?
JY-27V के अनावरण के बाद विशेषज्ञों के बीच यह चर्चा तेज़ हो गई है कि क्या स्टील्थ टेक्नोलॉजी अब अप्रभावी होती जा रही है? हालांकि विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि केवल स्टील्थ विमान को ट्रैक कर लेना पर्याप्त नहीं है — सटीक लक्ष्य साधने के लिए फायर कंट्रोल सिस्टम और इंटरसेप्टर मिसाइल्स का भी पूरी तरह से कोऑर्डिनेट होना आवश्यक है. इसमें चीन की वास्तविक क्षमता कितनी मजबूत है, यह अब भी एक सवाल है.
क्या पाकिस्तान को मिलेगा यह रडार?
एक और अहम पहलू यह है कि क्या चीन JY-27V रडार पाकिस्तान को सौंप सकता है? भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के चीनी मूल के एयर डिफेंस सिस्टम को ध्वस्त करने के बाद से, पाकिस्तान को अधिक शक्तिशाली और आधुनिक सैन्य तकनीक की आवश्यकता महसूस हो रही है. चीन के लिए पाकिस्तान एक रणनीतिक साझेदार के साथ-साथ हथियार परीक्षण का मंच भी बन चुका है.
यदि भविष्य में JY-27V पाकिस्तान को मिलता है, तो यह भारत के राफेल और अन्य लड़ाकू विमानों की परिचालन स्वतंत्रता को चुनौती दे सकता है. हालांकि भारत के पास भी अपनी काउंटर-स्ट्रेटजीज़ और उन्नत तकनीक है, लेकिन क्षेत्रीय बैलेंस प्रभावित हो सकता है.
भविष्य की तस्वीर: निगरानी की नई होड़
चीन का यह नया कदम न केवल सैन्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को और तीव्र करेगा, बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में निगरानी, डिटेक्शन और एयर डिफेंस के समीकरण भी बदल सकता है. यह साफ है कि अब युद्ध केवल मिसाइल और गोलियों से नहीं, बल्कि रडार वेव्स और डेटा के ज़रिए लड़े जाएंगे.
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