भारत के नये एयर डिफेंस सिस्टम को देख जल गया चीन! तिलमिलाहट में शक्ति पर उठाने लगा सवाल

    भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक बार फिर से अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है. देश ने अपने पहले इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम (IADWS) का सफल परीक्षण किया है, जिसने एक साथ तीन अलग-अलग उन्नत लक्ष्यों को मार गिराने की क्षमता साबित की. इस परीक्षण में दो हाई-स्पीड अनमैन्ड एरियल व्हीकल्स (ड्रोन) और एक मल्टी-कॉप्टर ड्रोन को निशाना बनाया गया.

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    भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक बार फिर से अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है. देश ने अपने पहले इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम (IADWS) का सफल परीक्षण किया है, जिसने एक साथ तीन अलग-अलग उन्नत लक्ष्यों को मार गिराने की क्षमता साबित की. इस परीक्षण में दो हाई-स्पीड अनमैन्ड एरियल व्हीकल्स (ड्रोन) और एक मल्टी-कॉप्टर ड्रोन को निशाना बनाया गया. इन लक्ष्यों को क़्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM), वी-शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) और लेजर-आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन के जरिए ताबड़तोड़ खत्म किया गया.

    इस उपलब्धि के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की कतार में शामिल हो गया है जिनके पास लेजर हथियार तकनीक है. इस सूची में अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, जर्मनी और इजरायल जैसे उन्नत राष्ट्र पहले से मौजूद हैं. यह सिस्टम भारत की राष्ट्रीय एयर डिफेंस शील्ड को और भी मजबूत करेगा और मल्टी-लेयर सुरक्षा कवच के निर्माण में अहम भूमिका निभाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस दशक के भीतर आत्मनिर्भर और अत्याधुनिक रक्षा प्रणाली स्थापित करने के लक्ष्य को लेकर पहले ही प्रतिबद्धता जता चुके हैं.

    चीन की प्रतिक्रिया और उसकी चिंता

    भारत की इस उन्नति पर चीन ने अपनी असहजता जाहिर की है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक रक्षा विशेषज्ञ के हवाले से लिखा कि "लेजर हथियार का इस सिस्टम में शामिल होना तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, लेकिन इसकी वास्तविक युद्ध क्षमता अभी साबित नहीं हुई है. टेस्टिंग तो नियंत्रित माहौल में हुई है, जबकि असली युद्ध के हालात अलग और चुनौतीपूर्ण होते हैं." इसी तरह बीजिंग की एयरोस्पेस नॉलेज मैगजीन के मुख्य संपादक वांग यानान ने भी इस तकनीक की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए और कहा कि प्रीसेट ट्रेनिंग के दौरान की गई टेस्टिंग वास्तविक युद्ध के माहौल का सही आकलन नहीं कर सकती.

    चीन की रणनीतिक चिंता की वजह

    असल में भारत का यह एयर डिफेंस सिस्टम चीन की एंटी-एक्सेस/एरिया डिनायल (A2/AD) रणनीति के लिए चुनौती है, जिस पर चीन दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में अपना प्रभुत्व बनाए रखने की योजना बनाता है. भारत की नई तकनीक ड्रोन, क्रूज मिसाइल और लो-फ्लाइंग एयरक्राफ्ट को रोकने में सक्षम होगी, जिससे चीन की रणनीति पर सीधे सवाल खड़े हो गए हैं. चीन की इस प्रतिक्रिया में उसकी चिंता साफ झलकती है कि भारत अब उन देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास अत्याधुनिक और प्रभावशाली एयर डिफेंस सिस्टम हैं. भारत की यह सफलता न केवल उसकी सुरक्षा बढ़ाएगी, बल्कि क्षेत्रीय सामरिक समीकरणों को भी प्रभावित करेगी.

    भारत की मजबूती का सबूत: ऑपरेशन सिंदूर

    चीन पहले ही भारत की सैन्य ताकत को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देख चुका है. अब जब भारत ने अपनी डिफेंस प्रणाली में नई तकनीकें शामिल की हैं, तो निश्चित रूप से चीन और पाकिस्तान जैसी प्रतिद्वंदी ताकतों की चिंता बढ़ेगी. भारत का यह कदम उसके रक्षा बलों को भविष्य के खतरों से निपटने में और अधिक सक्षम बनाएगा.

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