पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में कैबिनेट ने एक के बाद एक जनकल्याणकारी फैसले लेकर सियासी माहौल गर्म कर दिया है. मंगलवार को हुई महत्वपूर्ण कैबिनेट बैठक में 25 प्रस्तावों पर मुहर लगी, जिसमें मुख्यमंत्री फेलोशिप योजना से लेकर आंगनबाड़ी कर्मचारियों की वेतन वृद्धि और ईशा फाउंडेशन को शवदाह गृह के लिए भूमि लीज जैसे बड़े कदम शामिल हैं. ये निर्णय न केवल बिहार के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करेंगे, बल्कि ग्रामीण और शहरी विकास को भी नई गति देंगे. आइए, इन फैसलों की गहराई में उतरें और जानें कि कैसे ये बिहार की तस्वीर बदल सकते हैं.
मुख्यमंत्री फेलोशिप योजना: युवाओं को नई उड़ान
कैबिनेट ने मुख्यमंत्री फेलोशिप योजना को हरी झंडी दे दी है, जिसके तहत 121 फेलोज का चयन विभिन्न प्रशासनिक कार्यालयों में होगा. इनमें मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री कार्यालय, मुख्य सचिव, विकास आयुक्त, सचिवालय विभाग, प्रमंडलीय आयुक्त, डीएम और नगर निगम आयुक्त कार्यालय शामिल हैं. फेलोज का चयन अनुभव और शैक्षणिक योग्यता के आधार पर होगा. इस योजना का उद्देश्य प्रशासन में नई प्रतिभाओं को मौका देना और नीति निर्माण में युवा ऊर्जा को शामिल करना है. यह कदम बिहार के युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आया है.
फेलोज का मानदेय: पद के हिसाब से लाखों की कमाई
फेलोशिप योजना के तहत मानदेय भी आकर्षक रखा गया है. मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री कार्यालय में नियुक्त फेलोज को 1.5 लाख रुपये, मुख्य सचिव और विकास आयुक्त कार्यालय में 1.25 लाख रुपये, और सचिवालय के 45 फेलोज को 1 लाख रुपये प्रतिमाह मिलेंगे. वहीं, प्रमंडलीय आयुक्त, डीएम कार्यालय और नगर निगम आयुक्त कार्यालय में नियुक्त 19 फेलोज को 80,000 रुपये का मानदेय दिया जाएगा. यह संरचना न केवल प्रतिभाओं को आकर्षित करेगी, बल्कि प्रशासनिक दक्षता को भी बढ़ाएगी.
ईशा फाउंडेशन को शवदाह गृह के लिए लीज
कैबिनेट ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा फैसला लेते हुए ईशा फाउंडेशन, कोयंबटूर को पटना, गया, छपरा, सहरसा, भागलपुर और बेगूसराय में एलपीजी आधारित शवदाह गृह स्थापित करने के लिए 1-1 एकड़ जमीन 33 साल के लिए 1 रुपये की टोकन राशि पर लीज पर देने की मंजूरी दी. यह कदम न केवल पारंपरिक शवदाह की लकड़ी खपत को कम करेगा, बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ रखेगा. ईशा फाउंडेशन का अनुभव इस प्रोजेक्ट को और प्रभावी बनाएगा.
आंगनबाड़ी कर्मचारियों को तोहफा
बिहार की आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं के लिए खुशखबरी है. कैबिनेट ने सेविकाओं का मानदेय 7,000 से बढ़ाकर 9,000 रुपये और सहायिकाओं का 4,000 से 4,500 रुपये प्रति माह करने का फैसला किया है. यह वृद्धि 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगी, जिसके लिए 345 करोड़ 19 लाख 20 हजार रुपये की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की गई है. यह कदम ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और बच्चों के पोषण कार्यक्रमों को मजबूती देगा.
मुंगेर में औद्योगिक विस्तार
औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कैबिनेट ने मुंगेर के असरगंज अंचल में 466.49 एकड़ जमीन अधिग्रहण को मंजूरी दी, जिस पर 124 करोड़ 62 लाख 50 हजार रुपये खर्च होंगे. यह परियोजना क्षेत्र में नए उद्योग स्थापित करेगी, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. बिहार के औद्योगिक परिदृश्य को मजबूत करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है.
सोलर स्ट्रीट लाइट और सीसीटीवी
ग्रामीण क्षेत्रों में रात की सुरक्षा और सुविधा बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना के तहत 100 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं. वहीं, कानून-व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए 176 नए थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए 280 करोड़ 60 लाख 79 हजार 716 रुपये मंजूर हुए हैं. इसके अलावा, नगर निकायों और ग्रामीण पेयजल योजनाओं के बकाया बिजली बिलों के भुगतान के लिए क्रमशः 400 करोड़ और 594 करोड़ 56 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई है. ये फैसले बुनियादी ढांचे और सुरक्षा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे.
राजस्व कर्मचारियों की भर्ती
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में 3,303 नए राजस्व कर्मचारी पदों के सृजन को मंजूरी मिली है, जिसके लिए 131 करोड़ 74 लाख 21 हजार 368 रुपये की राशि स्वीकृत की गई है. यह फैसला भूमि विवादों को कम करने और प्रशासनिक कार्यों को तेज करने में मदद करेगा. बिहार के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भूमि सुधार प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है.
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