एक दरवाजा भारत और दूसरा नेपाल में... मजार और मस्जिद की आड़ में छांगुर बाबा करता था ये काला धंधा

    भारत-नेपाल की सीमा हमेशा से 'शांति और सहयोग' की मिसाल रही है, लेकिन अब यही खुली सीमा एक गहरा सवाल बनकर उभर रही है.

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    Image Source: ANI

    Changur baba Case: भारत-नेपाल की सीमा हमेशा से 'शांति और सहयोग' की मिसाल रही है, लेकिन अब यही खुली सीमा एक गहरा सवाल बनकर उभर रही है. सीमारेखा से सटे ‘नो-मेंस लैंड’ पर हो रहे अवैध निर्माण, धार्मिक संरचनाएं और विदेशी अतिक्रमण न सिर्फ भारत की सीमाओं की पवित्रता पर चोट कर रहे हैं, बल्कि आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरे का संकेत भी दे रहे हैं. उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती, महराजगंज, लखीमपुर, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर और पीलीभीत जैसे जिलों में यह खतरा तेजी से बढ़ रहा है. कहीं मस्जिदें बन रही हैं, तो कहीं खेत जोते जा रहे हैं. और यह सब उस ज़मीन पर हो रहा है, जो भारत और नेपाल के बीच ‘नो-मेंस लैंड’ कहलाती है, जहाँ किसी भी तरह की निर्माण या बसावट स्पष्ट रूप से निषिद्ध है.

    धार्मिक ढांचे बने, फिर मकान और अब खेती भी...

    नो-मेंस लैंड पर अतिक्रमण की शुरुआत धार्मिक स्थलों से हुई. श्रावस्ती के भरथारोशनगढ़ गांव में मस्जिद खड़ी कर दी गई, परसोहना में बनी मजार का एक दरवाज़ा भारत तो दूसरा नेपाल में खुलता था. इसी तरह महराजगंज के बघौड़ा में, और अन्य कई गांवों में मजारें और मस्जिदें नो-मेंस लैंड पर उग आईं. इसके बाद मकान बने, जैसे कि अहमद हुसैन, मेराज, जाकिर और मेहरुनिंशा द्वारा नो-मेंस लैंड पर खड़े किए गए निजी घर. जब प्रशासन ने सख्ती दिखाई, तो इन मकानों को हटाया गया, लेकिन तब तक यह मामला सुरक्षा एजेंसियों के रेडार पर आ चुका था.

    सीमा स्तंभ गायब, पिलर टूटे, अतिक्रमण जारी

    • सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि सीमा स्तंभों की स्थिति बेहद खराब है.
    • गंडक नदी से लेकर ककरदरी गांव तक, कई किलोमीटर तक सीमा स्तंभ गायब हैं.
    • पिलर नंबर 207 पूरी तरह गिर चुका है.
    • कई इलाकों में नेपाल के किसान भारत की ज़मीन पर खेती करते देखे जा रहे हैं.
    • महराजगंज जिले के सकरदिनही गांव में स्थानीय ग्रामीणों ने सीमा स्तंभ के चिन्हों को उखाड़ फेंका था, ताकि खेती जारी रह सके.

    अवैध प्लॉटिंग और लापरवाही की मिसाल

    सिद्धार्थनगर जिले के खुनुवा बाजार में नो-मेंस लैंड के पास अवैध प्लॉटिंग का खुलासा वर्ष 2020-21 में हुआ था. जांच में स्थानीय कानूनगो और लेखपाल दोषी पाए गए और शासन के आदेश पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई. यह दर्शाता है कि स्थानीय प्रशासन और भूमि विभाग की मिलीभगत या लापरवाही के चलते सीमा क्षेत्र में गैर-कानूनी कब्जों को मौन समर्थन मिला है.

    श्रावस्ती प्रशासन ने उठाया सख्त कदम

    श्रावस्ती के डीएम अजय कुमार द्विवेदी ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए सीमा से 10 किलोमीटर के दायरे में भूमि की रजिस्ट्री से पहले सीओ और एसडीएम की अनुमति को अनिवार्य कर दिया है. इसके अलावा, नो-मेंस लैंड पर बनी मजारों और मस्जिदों पर बुलडोजर चलाकर सख्त संदेश दिया गया है कि सीमा सुरक्षा से समझौता नहीं होगा.

    पगडंडी बन गई तस्करों की राजमार्ग

    भारत-नेपाल सीमा पर अवैध बसावट के साथ-साथ तस्करी का नेटवर्क भी गहराता जा रहा है. सोहेलवा जंगल (श्रावस्ती) और सोहगीरवा जंगल (महराजगंज) जैसी जगहों से नशीली दवाएं, शराब, मटर, कपड़े, लकड़ी जैसी वस्तुओं की तस्करी जोरों पर है. एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) जवान जंगल के पगडंडियों पर गश्त जरूर करते हैं, मगर जमीन पर स्पष्ट सीमांकन और डिजिटल निगरानी के बिना यह प्रयास आधे-अधूरे साबित हो रहे हैं.

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