Technology by 2030: दुनिया में तकनीक के विकास ने हमारी सोच और जीने के तरीके तो बदल दिए हैं, लेकिन इसका सबसे बड़ा असर युद्ध के मैदान पर भी आने वाला है. पारंपरिक युद्धों में जहां सैनिकों की भूमिका सबसे अहम होती थी, वहीं अब ऐसा लग रहा है कि आने वाले कुछ वर्षों में युद्ध का स्वरूप पूरी तरह बदल जाएगा. 2030 तक हो सकता है कि युद्ध में सैनिकों की संख्या कम हो और उनकी जगह अत्याधुनिक तकनीकों ने ले ली हो. चलिए जानते हैं कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन, रोबोट और साइबर वॉरफेयर से युद्ध की दुनिया बदलने जा रही है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: युद्ध में नई क्रांति
आज की सबसे प्रभावशाली तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) है. युद्ध क्षेत्र में AI का इस्तेमाल दुश्मन की गतिविधियों की निगरानी से लेकर रणनीति बनाने तक हो रहा है. यह तकनीक न केवल तेजी से खतरे का पता लगा सकती है बल्कि हथियारों के संचालन में भी दक्ष है. भविष्य में AI आधारित सिस्टम इंसानी सैनिकों की जगह लेकर युद्ध को और अधिक प्रभावी और तेज बना सकते हैं.
ड्रोन और मानवरहित हथियार
ड्रोन तकनीक ने युद्ध की परिभाषा ही बदल दी है. आज के आधुनिक ड्रोन न केवल निगरानी करते हैं बल्कि हथियार लेकर दुश्मन पर हमले भी कर सकते हैं. यूएवी (Unmanned Aerial Vehicles) और यूजीवी (Unmanned Ground Vehicles) भविष्य की सेनाओं का अभिन्न हिस्सा होंगे, जो बिना किसी इंसानी जोखिम के, सटीक और प्रभावी हमले कर सकेंगे.
साइबर वॉरफेयर
भविष्य के युद्ध अब केवल भौतिक मैदान तक सीमित नहीं रहेंगे. साइबर स्पेस में हो रही जंग भी उतनी ही निर्णायक होगी. दुश्मन के बैंकिंग सिस्टम, पावर ग्रिड, सैटेलाइट नेटवर्क और संचार तंत्र को निशाना बनाकर उनकी कार्यक्षमता को बाधित किया जाएगा. साइबर हमले के जरिये बिना एक भी सैनिक भेजे, किसी भी देश की नींव हिलाई जा सकती है.
रोबोटिक सैनिक और ऑटोनॉमस टैंक
आने वाले वक्त में रोबोटिक सैनिक, जो थकान से मुक्त और कभी डरने वाले नहीं होंगे, युद्ध का नया चेहरा हो सकते हैं. ऑटोनॉमस टैंक और युद्ध मशीनें भी खतरनाक इलाकों में इंसानों की जगह ले सकती हैं. इससे सैनिकों की जान बचाने के साथ-साथ लड़ाई में तकनीकी बढ़त भी मिलेगी.
ये भी पढ़ें: Youtube से जल्दी अमीर बनने के लिए फॉलो करें ये आसान टिप्स, घर बैठे होगी जबरदस्त कमाई, जानें डिटेल