Budh Pradosh Vrat 2025: कब है साल का आखिरी प्रदोष व्रत? जानें शुभ मुहूर्त और तिथी की सही जानकारी यहां

    Budh Pradosh Vrat 2025: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को भगवान शिव की आराधना का विशेष पर्व माना जाता है. हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यह व्रत किया जाता है, जिससे पूरे वर्ष में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं.

    Budh Pradosh Vrat 2025 Kab hai know date and puja importance in hindi
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    Budh Pradosh Vrat 2025: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को भगवान शिव की आराधना का विशेष पर्व माना जाता है. हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यह व्रत किया जाता है, जिससे पूरे वर्ष में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं. लेकिन वर्ष 2025 का अंतिम प्रदोष व्रत अपने आप में खास महत्व रखता है. इस दिन न केवल बुध प्रदोष व्रत रखा जाएगा, बल्कि कई दुर्लभ और शुभ योग भी बन रहे हैं, जो इस व्रत के फल को और अधिक प्रभावशाली बना देंगे.

    शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से जीवन के कष्ट, दोष और बाधाएं दूर होती हैं और साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. खासतौर पर प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद के समय में की गई शिव पूजा का विशेष महत्व बताया गया है.

    कब है साल 2025 का अंतिम प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat 2025)

    वर्ष 2025 का आखिरी प्रदोष व्रत 17 दिसंबर को रखा जाएगा. पौष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 16 दिसंबर की रात 11 बजकर 58 मिनट पर होगा और इसका समापन 18 दिसंबर को दोपहर 2 बजकर 33 मिनट पर होगा. इस प्रकार 17 दिसंबर को पूरे दिन त्रयोदशी तिथि रहेगी और उसी दिन प्रदोष व्रत किया जाएगा. चूंकि यह व्रत बुधवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा.

    बन रहे हैं शुभ और दुर्लभ योग

    इस बार का प्रदोष व्रत इसलिए भी विशेष माना जा रहा है क्योंकि इस दिन कई शुभ योगों का संयोग बन रहा है. 17 दिसंबर 2025 को सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण होगा. इसके साथ ही सुकर्मा योग और धृति योग भी इस दिन विद्यमान रहेंगे. ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, इन योगों में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को कई गुना अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है और कार्यों में सफलता मिलती है.

    बुध प्रदोष व्रत का शुभ पूजा मुहूर्त

    बुध प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करना सबसे उत्तम माना जाता है. 17 दिसंबर को पूजा का शुभ समय शाम 5 बजकर 27 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. इस दौरान विधि-विधान से शिव पूजन करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है.

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