रियो डी जनेरियो: ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ब्रिक्स देशों पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्क की धमकी को सिरे से नकारते हुए अमेरिका को तीखा जवाब दिया. लूला ने ट्रंप को सीधे तौर पर संदेश दिया कि दुनिया अब किसी ‘सम्राट’ की जरूरत नहीं महसूस करती और उन्होंने वैश्विक व्यापार में अमेरिकी डॉलर के विकल्प की बात की, जिससे ट्रंप को विशेष रूप से चिंता हो रही है.
ब्रिक्स देशों ने ट्रंप के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनका कोई भी कदम अमेरिका विरोधी नहीं है, बल्कि वे वैश्विक व्यापार में समानता और न्याय की दिशा में काम कर रहे हैं. इस बयान से यह साफ हो गया कि ब्रिक्स और अमेरिका के रिश्तों में आगे तनाव बढ़ सकता है.
लूला का "सम्राट" वाला बयान
ब्राजील के राष्ट्रपति लूला ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के समापन पर कहा, "दुनिया अब ऐसे तरीकों की तलाश कर रही है, जिनसे हमारे व्यापारिक रिश्ते डॉलर पर निर्भर न हों. आज दुनिया बदल चुकी है और हमें किसी सम्राट की जरूरत नहीं है." उनका यह बयान अमेरिका के प्रति एक कड़ा संदेश था, जिसमें उन्होंने ट्रंप को यह सलाह दी कि वह खुद को दुनिया का शासक समझना बंद कर दें. साथ ही, उन्होंने ब्रिक्स देशों के प्रयासों को सकारात्मक रूप में पेश करते हुए कहा कि ब्रिक्स का उद्देश्य वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण को पुनः व्यवस्थित करना है, जो कई देशों के लिए असहज हो सकता है.
ट्रंप की धमकी और ब्रिक्स का विरोध
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ब्रिक्स देशों पर आरोप लगाते हुए कहा था कि यदि वे डॉलर के खिलाफ काम करेंगे, तो अमेरिका उन पर 100% टैरिफ लगाएगा. ट्रंप का कहना था कि अगर ब्रिक्स देशों ने अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने की कोशिश की, तो उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी.
ब्रिक्स देशों ने इस धमकी का कड़ा विरोध किया है और यह स्पष्ट किया है कि उनका उद्देश्य किसी दूसरे देश या शक्ति के खिलाफ काम करना नहीं है. इसके बावजूद, ट्रंप की यह धमकी ब्रिक्स देशों को चुनौती देने की स्थिति में है, और इसका असर आगामी वैश्विक व्यापार नीतियों पर पड़ सकता है.
दूसरे ब्रिक्स देशों का रुख
ब्रिक्स के अन्य प्रमुख सदस्य देशों ने भी ट्रंप की नीतियों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कहा कि ब्रिक्स का उद्देश्य किसी भी अन्य शक्ति के साथ प्रतिस्पर्धा करना नहीं है, बल्कि वे वैश्विक सहयोग और समृद्धि की दिशा में काम कर रहे हैं. वहीं, चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि टैरिफ का उपयोग दबाव बनाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने इसे एकतरफा व्यापार नीतियों के खिलाफ एक स्पष्ट प्रतिक्रिया माना. रूस ने भी स्पष्ट किया कि ब्रिक्स का सहयोग साझा वैश्विक दृष्टिकोण पर आधारित है, और इसका उद्देश्य किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है.
भारत की चुप्पी और वैश्विक प्रभाव
हालांकि भारत ने इस पूरे विवाद पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन अन्य ब्रिक्स देशों के बयान से यह साफ है कि ट्रंप की धमकियां और उनके व्यापारिक फैसले इन देशों के लिए केवल एक चुनौती नहीं, बल्कि एक मौका भी हो सकते हैं. ब्रिक्स देशों के एकजुट रुख से यह संकेत मिलता है कि वे अमेरिकी दबाव को नकारते हुए स्वतंत्र और समान व्यापारिक व्यवस्था की ओर बढ़ने का इरादा रखते हैं. ब्रिक्स समूह में शामिल ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के अलावा नए सदस्य देशों जैसे मिस्र, इथियोपिया, ईरान, यूएई और इंडोनेशिया के साथ इस समूह का वैश्विक व्यापार पर काफी प्रभाव है. इन देशों के साझा प्रयास वैश्विक व्यापार व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं, जो आने वाले समय में दुनिया के व्यापारिक दृष्टिकोण को नया आकार दे सकता है.
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