ब्रह्मोस के बाद अब भारत का अगला वार, इस देसी गोले से दुनिया को चौंकाने की तैयारी; पापा-पापा करेगा पाकिस्तान!

    ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब ब्रह्मोस मिसाइल ने पाकिस्तान के होश उड़ा दिए, तब पूरी दुनिया को भारत की सैन्य क्षमता का एक नया चेहरा देखने को मिला.

    Brahmos India next attack Pakistan
    ब्रह्मोस मिसाइल | Photo: ANI

    नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब ब्रह्मोस मिसाइल ने पाकिस्तान के होश उड़ा दिए, तब पूरी दुनिया को भारत की सैन्य क्षमता का एक नया चेहरा देखने को मिला. अब भारत ने अपना अगला कदम भी तय कर लिया है—एक ऐसा गोला जो दुश्मन के होश उड़ाने से पहले ही उसे कांपने पर मजबूर कर देगा.

    बात हो रही है 155 मिमी के हाई-पावर आर्टिलरी शेल्स की, जिन्हें भारत ने पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से तैयार किया है. इस घातक हथियार को DRDO ने विकसित किया है और इसके चार वेरिएंट्स का सफल परीक्षण भी किया जा चुका है. अब नवंबर तक सेना के यूजर ट्रायल्स की योजना है, जिसके बाद यह गोला भारतीय सेना के शस्त्रागार का हिस्सा बन सकता है.

    क्या है खास इन देसी तोपगोले में?

    इन 155 मिमी गोला-बारूद के चार वेरिएंट्स में शामिल हैं:

    • हाई एक्सप्लोसिव (HE) – ज़्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए
    • स्मोक राउंड्स – दुश्मन की नज़रों को धोखा देने के लिए
    • DPICM (ड्यूल पर्पस इम्प्रूव्ड कन्वेंशनल म्युनिशन) – बड़े क्षेत्र में एकसाथ असर करने के लिए

    इन शेल्स की रेंज 24 से 32 किमी तक है और एक गोले का वजन लगभग 45 किलोग्राम होता है. इसे आधुनिक तोपों जैसे धनुष, शारंग और के9 वज्र में इस्तेमाल किया जा सकता है.

    निजी और सरकारी साझेदारी

    इस प्रोजेक्ट को DCPP (Development cum Production Partner) मॉडल पर तैयार किया गया है. इसमें दो बड़ी कंपनियां शामिल हैं:

    • जय एम्युनिशन लिमिटेड (रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर का हिस्सा)
    • यंत्रा इंडिया लिमिटेड (सरकारी उद्यम)

    इन कंपनियों ने DRDO के साथ मिलकर दो साल में इस गोले को विकसित किया है और अब इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन की तैयारी है.

    भारत को आत्मनिर्भर और रक्षा निर्यातक बनाएगा यह प्रोजेक्ट

    रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि इस गोला-बारूद के स्वदेशीकरण से भारत की रक्षा नीति में क्रांतिकारी बदलाव आएगा:

    • अब भारत रूस, इज़राइल या अन्य देशों पर निर्भर नहीं रहेगा
    • रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा देश के भीतर खर्च होगा
    • हथियार निर्माण में 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' को नया बल मिलेगा
    • हजारों रोजगार सृजित होंगे

    वैश्विक रक्षा बाजार में भारत की स्थिति और मजबूत होगी

    वर्तमान में दुनिया में 155 मिमी आर्टिलरी शेल्स की भारी मांग है, खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे संघर्षों के कारण. भारत इस अवसर को हथियार बनाकर 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की घरेलू मांग और अंतरराष्ट्रीय निर्यात बाजार दोनों को साध सकता है.

    नवंबर तय करेगा अगला युद्ध का हथियार

    अगर नवंबर में सेना द्वारा प्रस्तावित फाइनल ट्रायल्स सफल रहते हैं, तो भारत जल्द ही इस शेल का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू कर देगा. इससे न सिर्फ हमारी सेना को तकनीकी बढ़त मिलेगी, बल्कि भारत की गिनती विश्वसनीय और किफायती रक्षा उत्पादों के वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं में होने लगेगी.

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