UP News: अब उत्तर प्रदेश में गाय का गोबर सिर्फ खेतों में काम नहीं आएगा, बल्कि आपकी कार को भी दौड़ाएगा! यूपी सरकार ने अपनी पंचगव्य आधारित ग्रामीण विकास योजना के तहत एक नई दिशा की ओर कदम बढ़ाया है, जो न केवल कृषि बल्कि परिवहन क्षेत्र में भी बदलाव लाएगी.
पंचगव्य आधारित मॉडल का अवलंबन
उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों और ग्रामीणों की मदद के लिए पंचगव्य आधारित एक नया मॉडल अपनाया है. इसमें गाय के गोबर, गोमूत्र और अन्य जैविक उत्पादों से न केवल खाद, कीटनाशक, बल्कि बायोगैस भी तैयार की जाएगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की "गो सेवा से समृद्धि" योजना के तहत, राज्य की 75 गोशालाओं को बायोफ्यूल शोध और उत्पादन केंद्रों में बदला जाएगा.
आत्मनिर्भर गोशालाएं और ग्रामीण सशक्तिकरण
इस योजना का उद्देश्य गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाना है, जिससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो, बल्कि ग्रामीणों को स्थायी रोजगार भी मिलेगा. इसके जरिए गोशालाओं को सालाना 25 लाख रुपये तक की आय होने की संभावना है, जिससे गांवों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.
गोबर से बायोगैस: एक नई ऊर्जा क्रांति
गोबर से बायोगैस बनाने की प्रक्रिया दो चरणों में होती है: पहले बैक्टीरिया जैविक कचरे को ऑर्गेनिक एसिड में बदलते हैं, और फिर दूसरे चरण में मिथेन गैस का उत्पादन होता है. मारुति सुजुकी की रिपोर्ट के अनुसार, 10 गायों के एक दिन के गोबर से उत्पन्न बायोगैस एक सीएनजी कार को पूरा दिन चलाने के लिए पर्याप्त होती है.
किसानों को मिलेगा फायदा
पंचगव्य से बने जैविक उत्पादों की मदद से किसानों की लागत घटेगी और उत्पादन बढ़ेगा. इस मॉडल से किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी और कृषि की टिकाऊ दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.
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