CM पद की शपथ में क्या पढ़ा जाता है? नीतीश कुमार ने रचा इतिहास; 10वीं बार संभालेंगे पद

    Nitish Kumar Oath Ceremony: बिहार में एक बार फिर राजनीतिक इतिहास दोहराने जा रहा है. सूबे की राजनीति में अपनी पकड़ और अनुभव से पहचान बनाने वाले नीतीश कुमार आज 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं.

    Bihar Oath Ceremony 2025 Know Constitution What Chief Minister Reads
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    Nitish Kumar Oath Ceremony: बिहार में एक बार फिर राजनीतिक इतिहास दोहराने जा रहा है. सूबे की राजनीति में अपनी पकड़ और अनुभव से पहचान बनाने वाले नीतीश कुमार आज 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं. एनडीए गठबंधन को मिली भारी जीत के बाद नई सरकार के गठन की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच गई है. पूरे पटना में उत्साह का माहौल है और गांधी मैदान इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत एनडीए के कई दिग्गज नेता इस समारोह में मौजूद रहेंगे.

    गुरुवार सुबह 11:30 बजे नीतीश कुमार शपथ लेंगे. इस अवसर पर राज्यपाल उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे. भारतीय संविधान के अनुसार मुख्यमंत्री को अपने पद के साथ उस गोपनीयता की भी शपथ लेनी होती है, जिसे निभाना उनका संवैधानिक कर्तव्य होता है. अनुच्छेद 164(3) में इन शपथों का पूरा प्रारूप स्पष्ट रूप से दिया गया है.

    कैसे होती है शपथ, क्या कहता है संविधान?

    संविधान में साफ कहा गया है कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों को एक निश्चित प्रारूप में शपथ पढ़नी होती है. ताकि किसी भी प्रकार की त्रुटि न हो, शपथ दिलाने की जिम्मेदारी राज्यपाल की होती है. यदि कोई शब्द गलत पढ़ दिया जाए, तो राज्यपाल उसे रोककर सही प्रारूप दोबारा पढ़ने के लिए कह सकते हैं.

    मैं (नाम) ईश्वर की शपथ लेता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा. मैं भारत की प्रभुता और अखंडता को अक्षुण्ण रखूंगा. मैं उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंत:करण से निर्वहन करूंगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा.

    मैं (नाम) ईश्वर की शपथ लेता हूं कि जो विषय (राज्य का नाम) राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जाएगा अथवा मुझे ज्ञात होगा, उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को, तब के सिवाए जबकि ऐसे मुख्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूंगा.

    शपथ के बाद क्यों जरूरी है हस्ताक्षर?

    शपथ उठाने के बाद हर मुख्यमंत्री और मंत्री को एक संवैधानिक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करना होता है. यह दस्तावेज राज्यपाल के पास सुरक्षित रखा जाता है और उनके सचिव द्वारा सत्यापित किया जाता है. जब इस पर राज्यपाल की स्वीकृति दर्ज हो जाती है, तब संबंधित मंत्री या मुख्यमंत्री की नियुक्ति को गजट नोटिफिकेशन के जरिए आधिकारिक रूप से घोषित किया जाता है. इसी प्रक्रिया के साथ शपथ ग्रहण की कानूनी प्रक्रिया पूरी मानी जाती है.

    बिहार की राजनीति में स्थिरता और बदलाव का संगम

    नीतीश कुमार का 10वीं बार मुख्यमंत्री बनना एक बार फिर इस बात को रेखांकित करता है कि बिहार की राजनीति में उनका प्रभाव और नेतृत्व आज भी मजबूत है. नई सरकार से राज्य को विकास, सुशासन और स्थिरता की बड़ी उम्मीदें हैं. आज का शपथ समारोह सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि बिहार के अगले अध्याय की शुरुआत है.

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