भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला, 57 लोगों की नृशंस हत्या; 70 से अधिक लापता

    उत्तर-पूर्वी राज्य बोर्नो के दो गांवों — माल्लम करामती और क्वातंदाशी — में गुरुवार को हुए एक भीषण आतंकी हमले में कम से कम 57 लोगों की जान चली गई.

    Biggest terrorist attack amid India-Pakistan tension
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    अफ्रीका के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश नाइजीरिया के लिए एक बार फिर से दर्दनाक खबर सामने आई है. उत्तर-पूर्वी राज्य बोर्नो के दो गांवों — माल्लम करामती और क्वातंदाशी — में गुरुवार को हुए एक भीषण आतंकी हमले में कम से कम 57 लोगों की जान चली गई, जबकि 70 से अधिक लोग लापता हैं.

    इस भयावह हमले के पीछे वही नाम है, जिसने बीते डेढ़ दशक से क्षेत्र में तबाही मचाई हुई है — बोको हराम. हालांकि इस बार हमला इसके एक कट्टरपंथी धड़े जमातु अहलिस सुन्ना लिद्दावति वल-जिहाद (JAS) ने अंजाम दिया.

    गांववालों को जंगल में ले जाकर दी गई क्रूर मौत

    चश्मदीद अब्दुर्रहमान इब्राहिम ने बताया कि आतंकियों ने गांव में धावा बोलने के बाद 100 से अधिक लोगों को जबरन जंगल की ओर ले गए. वहां कुछ लोगों की गला रेतकर हत्या कर दी गई, जबकि अन्य को अब तक मृत या जीवित नहीं खोजा जा सका है. शनिवार को 57 शव बरामद किए गए, जिनमें अधिकतर की पहचान संभव नहीं हो सकी है.

    मुखबिरी के आरोप में किया गया नरसंहार

    स्थानीय लोगों का कहना है कि हमलावरों ने पीड़ितों पर आईएसडब्ल्यूएपी (Islamic State West Africa Province) के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया था. बता दें कि आईएसडब्ल्यूएपी और JAS दोनों ही बोको हराम से जुड़े हुए हैं, लेकिन उनके टारगेट अलग होते हैं — जहां आईएसडब्ल्यूएपी सेना पर हमले करता है, वहीं JAS आम नागरिकों को निशाना बनाकर अपहरण, लूटपाट और जनसंहार को अंजाम देता है.

    सरकारी चुप्पी और सुरक्षा तंत्र पर सवाल

    इस नृशंस हमले के बाद न तो बोर्नो राज्य सरकार ने आधिकारिक रूप से मौतों की पुष्टि की और न ही नाइजीरियाई सेना की ओर से कोई बयान आया है. इस चुप्पी ने सरकार की गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सुरक्षा बलों की अनुपस्थिति के चलते शवों की खोज में भी देरी हुई, और अब भय का माहौल इतना गहरा है कि कुछ इलाकों में तलाशी अभियान तक रोक दिए गए हैं.

    बोको हराम: एक दशक की दहशत

    2009 से सक्रिय बोको हराम अब तक 35,000 से अधिक लोगों की जान ले चुका है, जबकि 26 लाख लोग बेघर हो चुके हैं. उसका मकसद नाइजीरिया, नाइजर, चाड और कैमरून के कुछ हिस्सों में एक इस्लामी शासन स्थापित करना है. हालांकि, नाइजीरियाई सरकार यह दावा करती रही है कि आतंकवाद पर काबू पाया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत अलग तस्वीर पेश करती है. हालिया हमले यह दर्शाते हैं कि आतंकी गतिविधियां अब देश के मध्य क्षेत्रों तक फैल चुकी हैं, और सुरक्षा तंत्र इस विस्तार को रोकने में विफल रहा है.

    ये भी पढ़ेंः पाकिस्तान के बाद बांग्लादेश पर भारत की कार्रवाई से यूनुस के छूटे पसीने, सड़कों पर क्यों लग गई ट्रकों की लाइन?