12 जून की सुबह अहमदाबाद एयरपोर्ट से जैसे ही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 ने उड़ान भरी, किसी को अंदाजा नहीं था कि महज 26 सेकंड में आसमान से मौत बरसने वाली है. बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान कुछ ही पलों में ज़मीन पर आ गिरा और 240 से ज़्यादा लोगों की जान ले गया. हैरानी की बात ये थी कि एक यात्री इस तबाही में ज़िंदा बच गया, लेकिन अब जो बातें जांच रिपोर्ट में सामने आ रही हैं, वो और भी डरावनी हैं.
इलेक्ट्रिकल फेल्योर बना बर्बादी की वजह?
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने जांच में जो पाया, वो पूरी दुनिया के एविएशन सेक्टर को झकझोर सकता है. शुरुआती रिपोर्ट कहती है कि जैसे ही विमान ने उड़ान भरी, तीन सेकंड के अंदर दोनों इंजनों के फ्यूल कंट्रोल स्विच खुद-ब-खुद कट-ऑफ मोड में चले गए. मतलब, इंजन ने फ्यूल लेना बंद कर दिया और विमान बिना ताक़त के गिर पड़ा.
कॉकपिट की आवाज़ें बनीं राज़ की गवाह
फ्लाइट के कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में दर्ज आखिरी बातचीत से हालात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है. एक पायलट चौंक कर पूछता है, "तुमने फ्यूल क्यों काटा?" और जवाब आता है, "मैंने नहीं किया." यही वाक्य इस हादसे के पीछे छुपी उस तकनीकी गड़बड़ी की ओर इशारा करता है, जिसने सबकुछ खत्म कर दिया.
पीछे के मलबे में जले हुए तार, APU सुरक्षित
हादसे के बाद मलबे की जांच में विमान के पिछले हिस्से (empennage) में इलेक्ट्रिकल आग के निशान मिले. यही हिस्सा जहां ऑक्ज़िलरी पावर यूनिट (APU) होती है, बाकी सब जल चुका था, लेकिन APU सुरक्षित थी. रियर ब्लैक बॉक्स बुरी तरह डैमेज था, लेकिन फ्रंट वाला सलामत रहा. उसी से सारे डेटा निकाले गए, जो जांच में मदद कर रहे हैं.
दिल्ली से अहमदाबाद आई पिछली फ्लाइट में गड़बड़ी
AI-171 से पहले दिल्ली से अहमदाबाद आई फ्लाइट AI-423 में पायलट ने “STAB POS XDCR” नाम के एक अहम सेंसर की खराबी की शिकायत दी थी. यह सेंसर फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम को जानकारी देता है कि विमान किस कोण पर उड़ रहा है. मेंटेनेंस इंजीनियर ने इसे चेक करने के बाद उड़ान की इजाजत दे दी, लेकिन अब जांचकर्ता मान रहे हैं कि ये गड़बड़ी इलेक्ट्रिकल सिस्टम की बड़ी खामी का हिस्सा हो सकती है.
RAT तैनात हुआ, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी
जब प्लेन का इलेक्ट्रिकल सिस्टम फेल हुआ तो इमरजेंसी पावर देने के लिए RAM Air Turbine (RAT) अपने आप एक्टिव हो गया. लेकिन विमान की ऊंचाई सिर्फ 625 फीट थी—इतनी कम कि पायलट के पास रिकवरी का वक्त ही नहीं बचा.
दुर्घटना स्थल से बचे अहम सुराग
विमान गिरा था बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल मेस भवन पर. पीछे का हिस्सा अपेक्षाकृत कम डैमेज हुआ था, जिससे कुछ कंपोनेंट्स जैसे रडर, ट्रांसड्यूसर और APU को सेफली निकालकर जांच के लिए भेजा गया. ये अब उस चेन को समझने में मदद कर रहे हैं, जिसने एक फ्लाइट को उड़ते ही मौत में बदल दिया.
बोइंग, GE, NTSB और CAA भी जांच में कूदे
जांच में सिर्फ भारत की एजेंसियां नहीं हैं. अमेरिका की NTSB, ब्रिटेन की CAA, बोइंग और जनरल इलेक्ट्रिक के एक्सपर्ट्स भी इसमें शामिल हैं. जांच का दायरा अब इंटरनेशनल बन चुका है क्योंकि अगर इलेक्ट्रिकल फेल्योर की यह थ्योरी सच है, तो यह पूरी दुनिया के बोइंग 787 विमानों के लिए खतरे की घंटी हो सकती है.
ईंधन लीक की आशंका बेबुनियाद निकली
शुरुआत में शक था कि शायद फ्यूल लीक हुआ हो, लेकिन एयरपोर्ट के फ्यूल टैंक और बोसर से लिए गए सैंपल्स में ऐसा कुछ नहीं मिला. मतलब साफ है- समस्या फ्यूल की नहीं, बल्कि सिस्टम की है.
ज़िंदा बचे यात्री की आंखों देखी
240 से ज़्यादा लोगों की जान गई. लेकिन विश्वास कुमार रमेश नाम का एक यात्री बच गया. उसके बयान ने भी जांच की दिशा तय करने में अहम रोल निभाया. उसने बताया कि उड़ान के दौरान केबिन की लाइट्स हरी और सफेद रंग में टिमटिमा रही थीं, फिर अचानक एक ज़ोर का धमाका हुआ और सब खत्म हो गया.
बोइंग 787 फ्लीट की दोबारा जांच
हादसे के बाद एयर इंडिया ने अपने सभी बोइंग 787 विमानों की जांच करवाई. कुल 26 विमानों की गहन जांच के बाद उन्हें दोबारा उड़ान की मंजूरी मिली. वहीं, गुजरात पुलिस ने आतंकी हमले की आशंका को भी नकार दिया है क्योंकि मलबे से किसी भी तरह के विस्फोटक पदार्थ के सबूत नहीं मिले.
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