बांग्लादेश में भिखारियों की आई बाढ़! पाकिस्तान से दोस्ती करना यूनुस को अब पड़ रहा भारी

    बांग्लादेश की राजधानी ढाका इन दिनों एक नई सामाजिक समस्या से जूझ रही है. यहां सड़कों, बाजारों और सार्वजनिक स्थलों पर बड़ी संख्या में भिखारी नजर आ रहे हैं. हर चौक-चौराहे पर भीख मांगते लोग समूह में बैठे दिखते हैं.

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    बांग्लादेश की राजधानी ढाका इन दिनों एक नई सामाजिक समस्या से जूझ रही है. यहां सड़कों, बाजारों और सार्वजनिक स्थलों पर बड़ी संख्या में भिखारी नजर आ रहे हैं. हर चौक-चौराहे पर भीख मांगते लोग समूह में बैठे दिखते हैं. खासतौर पर महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जो किसी न किसी बहाने राहगीरों से मदद मांगती दिखाई देती हैं. यह स्थिति बांग्लादेश के प्रशासन और स्थानीय नागरिकों दोनों के लिए चिंता का विषय बन गई है.

    क्या पाकिस्तान से बढ़ती नजदीकी जिम्मेदार है?

    बांग्लादेश में भिखारियों की बढ़ती संख्या ऐसे समय में देखी जा रही है, जब यूनुस सरकार पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते मजबूत कर रही है. गौर करने वाली बात यह है कि पाकिस्तान को अक्सर 'ग्लोबल भिखारी नेटवर्क' का हिस्सा कहा जाता है. पाकिस्तान के लाखों भिखारी यूएई, कतर और सऊदी अरब जैसे देशों में जाकर भीख मांगते हैं. कई जानकारों का मानना है कि बांग्लादेश में यह ट्रेंड कहीं न कहीं पाकिस्तान से मिली प्रेरणा या प्रभाव का भी नतीजा हो सकता है.


    बांग्लादेश में कितने भिखारी हैं?

    बांग्लादेश में भिखारियों की समस्या कोई नई नहीं है, लेकिन अब हालात पहले से ज्यादा खराब हो गए हैं. 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में लगभग 7 लाख भिखारी थे. अकेले ढाका में करीब 40 हजार भिखारी पाए गए थे. उस समय शेख हसीना सरकार ने इन भिखारियों को मुख्यधारा में लाने का वादा किया था. मगर अब यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद इस मुद्दे पर न तो कोई ठोस पहल हुई है और न ही कोई ठोस बयान सामने आया है.

    भिखारियों की मजबूरी की दास्तां

    ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, वहां की भिखारियों से बातचीत में उनके पीछे छिपी गरीबी की दर्दभरी कहानियां सामने आई हैं. रशेदा (बदला हुआ नाम) नाम की एक महिला ने बताया कि उसकी तबीयत खराब रहती है, वह काम करने में असमर्थ है और अपने बच्चों का पेट भरने के लिए भीख मांगने को मजबूर है.

    वहीं, 16 साल की तंजेला ने बताया कि उसका भाई गंभीर रूप से बीमार है और परिवार की माली हालत इतनी खराब है कि इलाज का खर्च उठाना मुश्किल हो गया था. उसने अपने भाई के इलाज के लिए भीख मांगने का रास्ता चुना.

    बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई बनी वजह

    हाल के आंकड़ों की मानें तो बांग्लादेश में बेरोजगारी दर तेजी से बढ़ी है. महंगाई भी यूनुस सरकार के लिए अब तक एक सुलझा न पाने वाली चुनौती बनी हुई है. देश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति और रोजगार के सीमित अवसरों ने भिखारियों की संख्या में अप्रत्याशित इजाफा कर दिया है.

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