बांग्लादेश में बीते कुछ समय से जारी राजनीतिक घमासान के बीच आखिरकार थोड़ी राहत की खबर आई है. सेना और अंतरिम सरकार के बीच मतभेदों की अटकलों पर अब विराम लगता दिखाई दे रहा है. सोमवार को बांग्लादेश की सेना की ओर से स्पष्ट किया गया कि सरकार और सेना के बीच किसी भी तरह की तनातनी नहीं है और वे मिलकर काम कर रहे हैं.
कोई मतभेद नहीं है
ब्रिगेडियर जनरल नाजिम-उद-दौला ने मीडिया में चल रही तमाम रिपोर्ट्स को “भ्रामक” बताते हुए कहा, “सरकार और सेना के बीच कोई मतभेद नहीं है. हम शांतिपूर्ण और समन्वित तरीके से कार्य कर रहे हैं. जो कुछ भी दिखाया जा रहा है, वह हकीकत से दूर है.”
यूनुस का भारत पर सीधा आरोप
राजनीतिक स्थिरता की कोशिश में लगे नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने अब अपना रुख सख्त करते हुए भारत को सीधे निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा कि “बांग्लादेश में जो संकट पैदा हुआ है, वह भारत की ढाका में दोबारा प्रभुत्व जमाने की रणनीति का हिस्सा है.” यूनुस ने अपने सलाहकारों के साथ बैठक कर इस बात को दोहराया कि वे अंतरिम सरकार के प्रमुख के तौर पर काम करते रहेंगे और भारत के कथित दखल को चुनौती देंगे.
भारत विरोधी बयानबाज़ी और यूनुस पर बढ़ता दबाव
मोहम्मद यूनुस को बीते वर्ष अगस्त में शेख हसीना के इस्तीफे के बाद अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपा गया था, जिनके खिलाफ देशभर में व्यापक प्रदर्शन हुए थे. लेकिन अब यूनुस खुद आलोचनाओं के घेरे में हैं. राजनीतिक दलों और सेना प्रमुख वकार उज जमां की ओर से उनके खिलाफ तीखे बयान सामने आए हैं. जनता में भी यूनुस की चुनावों को बार-बार टालने की नीति को लेकर नाराजगी है, जिसकी झलक राजधानी सहित कई शहरों में हुए विरोध प्रदर्शनों में देखने को मिली.
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