जिस तरह गई शेख हसीना की सत्ता, क्या यूनुस पर भी मंडरा रहा वही खतरा? आंदोलनकारियों ने घेर लिया अब यूनुस का घर

    बांगलादेश में छात्र आंदोलनकारियों ने एक बार फिर से राजनीतिक हलचल मचा दी है. ढाका में स्थित चीफ एडवाइज़र मोहम्मद यूनुस के आवास के बाहर प्रदर्शनकारियों ने डेरा डाल लिया है, जिससे देश की राजनीति में नया मोड़ आ गया है.

    Bangladesh Students Protest in dhaka at outside at yunus house demanding awami leauge
    Image Source: Social Media

    बांगलादेश में छात्र आंदोलनकारियों ने एक बार फिर से राजनीतिक हलचल मचा दी है. ढाका में स्थित चीफ एडवाइज़र मोहम्मद यूनुस के आवास के बाहर प्रदर्शनकारियों ने डेरा डाल लिया है, जिससे देश की राजनीति में नया मोड़ आ गया है.

    आंदोलनकारियों की मुख्य मांग

    प्रदर्शनकारी छात्र संगठन एनसीपी ने यूनुस से शेख हसीना की पार्टी, आवामी लीग, पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. उनका कहना है कि यदि यूनुस ऐसा नहीं करते, तो उनका आंदोलन जारी रहेगा. एनसीपी का आरोप है कि यूनुस ने पहले आवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने का वादा किया था, लेकिन अब वह इससे मुकर रहे हैं. इससे आंदोलनकारियों में आक्रोश है.

    यूनुस सरकार की स्थिति

    मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना और उनके समर्थकों के खिलाफ "ऑपरेशन डेविल हंट" शुरू किया है, जिसके तहत हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया है. हालांकि, आवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय अभी तक नहीं लिया गया है. विश्लेषकों का मानना है कि यूनुस इस कदम से बच रहे हैं, क्योंकि इससे उनकी सरकार की स्थिरता पर सवाल उठ सकते हैं.

    छात्र आंदोलन की पृष्ठभूमि

    यह आंदोलन 2024 में शुरू हुआ था, जब छात्रों ने सरकारी नौकरी में कोटा प्रणाली के खिलाफ आवाज उठाई थी. जल्द ही यह आंदोलन व्यापक हो गया और शेख हसीना की सरकार के खिलाफ व्यापक असंतोष का रूप ले लिया. अगस्त 2024 में शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा और वह भारत भाग गईं. इसके बाद, यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ.

    राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

    इस आंदोलन ने बांगलादेश की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू किया है. छात्रों की सक्रियता ने यह साबित कर दिया है कि वे देश की राजनीतिक दिशा को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. हालांकि, इस आंदोलन के कारण सामाजिक तनाव भी बढ़ा है, क्योंकि कुछ लोग इसे राजनीतिक अस्थिरता का कारण मानते हैं. बांगलादेश की राजनीति में यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण मोड़ पर है, और आने वाले दिनों में इसके परिणाम देश की दिशा तय करेंगे.

    यह भी पढ़ें: भारत-पाकिस्तान तनाव के कारण IPL 2025 रोका गया, अभी 12 लीग मैच होने बाकी, BCCI ने नहीं बताई नई तारीख