बांग्लादेश में पिछले एक साल से राजनीतिक स्थिति अस्थिर बनी हुई है. शेख हसीना के सत्ता से हटने और देश छोड़ने के बाद से यह संकट और गहरा गया है. मोहम्मद यूनुस की नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार हिंसा पर काबू पाने में नाकाम साबित हुई है, जिससे बांग्लादेश के नागरिकों में भारी असंतोष और चिंता फैल गई है. हिंसा और असुरक्षा के कारण बड़ी संख्या में लोग भारत-बांग्लादेश सीमा की ओर पलायन कर रहे हैं, और इनमें से कुछ लोग शेख हसीना की वापसी की मांग उठा रहे हैं.
बांग्लादेश में हिंसा की गहराती खाई
जलपाईगुड़ी में भारत-बांग्लादेश सीमा पर पहुंचे कई बांग्लादेशी नागरिकों ने अपनी कठिनाइयों का बयान किया. पंचगढ़ जिले के निवासी प्रेमानंद रॉय ने कहा, “बांग्लादेश में स्थिति बेहद खराब है. हम रोज़ हिंसा की खबरें सुन रहे हैं. लोग शांति चाहते हैं, लेकिन अब तक शांति का नामोनिशान नहीं है.” उन्होंने यह भी कहा कि "शेख हसीना का नेतृत्व बांग्लादेश को फिर से चाहिए, और एक बड़ा वर्ग उनकी वापसी की मांग कर रहा है."
शेख हसीना की वापसी की मांग
भारत में इलाज के लिए आई सपना रानी साहा ने भी बांग्लादेश की स्थिति पर चिंता जताई. उन्होंने बताया, “हमारे इलाके में शांति है, लेकिन बांग्लादेश के कई हिस्सों में हिंसा जारी है. शांति दोनों देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.” सपना ने शेख हसीना के बारे में कहा, "हम आज भी उनका समर्थन करते हैं, लेकिन यह सच है कि उन्होंने कुछ गलतियां की हैं, और अब उन्हें उसकी कीमत चुकानी पड़ रही है."
बांग्लादेश में सामान्य जीवन की मुश्किलें
सपना ने आगे कहा कि सीमा पार आने-जाने में उन्हें अब कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जो पहले नहीं हुआ करती थीं. उनका कहना था, "हम हमेशा बेहतर इलाज के लिए भारत आते हैं, क्योंकि बांग्लादेश में कभी-कभी इलाज की सुविधाएं पूरी नहीं होती हैं."
हालात पर विरोधी राय भी
हालांकि, बांग्लादेश में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो परिस्थितियों को इतना गंभीर नहीं मानते. ठाकुरगंज जिले से आए केके शर्मा ने एएनआई से बातचीत में कहा, "बांग्लादेश में स्थिति उतनी बुरी नहीं है. राजनीति के मुद्दे तो हमेशा से चल रहे हैं. यह 1971 से शुरू हुआ था और अब भी चल रहा है." उन्होंने यह भी कहा कि "हमारी अंतरिम सरकार बांग्लादेश को अच्छी तरह से चला रही है."
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