जिस पाकिस्तान ने किया कत्ल-ए-आम, उसी की जी हजुरी में लगी यूनुस सरकार! ...बिछा रहा रेड कार्पेट

    कभी इतिहास में खून की लकीरों से एक-दूसरे से अलग हुए बांग्लादेश और पाकिस्तान अब धीरे-धीरे कूटनीतिक समीकरणों को नया आकार देने की ओर बढ़ रहे हैं. ताजा घटनाक्रम में बांग्लादेश ने पाकिस्तान के साथ एक अहम समझौते को मंजूरी देने का निर्णय लिया है.

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    कभी इतिहास में खून की लकीरों से एक-दूसरे से अलग हुए बांग्लादेश और पाकिस्तान अब धीरे-धीरे कूटनीतिक समीकरणों को नया आकार देने की ओर बढ़ रहे हैं. ताजा घटनाक्रम में बांग्लादेश ने पाकिस्तान के साथ एक अहम समझौते को मंजूरी देने का निर्णय लिया है, जिसके तहत दोनों देशों के सरकारी अधिकारियों और राजनयिकों को वीज़ा के बिना आने-जाने की सुविधा मिलेगी. यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार जल्द ही ढाका की यात्रा पर आने वाले हैं.


    ढाका में आयोजित एक प्रेस ब्रीफिंग में बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने जानकारी दी कि यह प्रस्तावित समझौता दोनों देशों के राजनयिकों और सरकारी कर्मचारियों को पांच वर्षों तक वीज़ा-मुक्त आवाजाही की अनुमति देगा.

    क्या है समझौते का स्वरूप?

    उन्होंने बताया कि यह कोई असाधारण कदम नहीं है, बल्कि एक सामान्य कूटनीतिक प्रक्रिया है, जो बांग्लादेश द्वारा पहले से 30 अन्य देशों के साथ अपनाई जा चुकी है.

    पाकिस्तान की मंज़ूरी और कूटनीतिक सरगर्मियां

    पाकिस्तानी सरकार ने इस समझौते को पहले ही अपनी स्वीकृति दे दी है. साथ ही, पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्री जाम कमाल खान 20 अगस्त को ही ढाका पहुंच चुके हैं और उन्होंने बांग्लादेश के वाणिज्य सलाहकार एसके बशीरुद्दीन से मुलाकात भी की है. अब सभी की निगाहें इशाक डार की प्रस्तावित यात्रा पर टिकी हैं, जो इस बढ़ते तालमेल को और मजबूती देने का संकेत हो सकती है.

    इतिहास की पृष्ठभूमि में यह कदम

    यह समझौता ऐसे दो देशों के बीच हो रहा है, जिनका अतीत अत्यंत रक्तरंजित रहा है. वर्ष 1971 में पाकिस्तानी सेना ने ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ के तहत पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में भीषण दमन अभियान चलाया था. लाखों निर्दोष नागरिकों की हत्या, महिलाओं पर अत्याचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया था. बाद में भारतीय सेना और मुक्ति वाहिनी के सहयोग से बांग्लादेश ने एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में जन्म लिया. इस त्रासदी की स्मृति आज भी बांग्लादेश के जनमानस में जीवित है.

    नई सरकार और बदले रिश्तों का संकेत?

    कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह पहल अगस्त 2024 में शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद अंतरिम सरकार की बदली हुई विदेश नीति का हिस्सा हो सकती है. हालांकि सरकार की ओर से इसे एक रूटीन डिप्लोमैटिक एग्रीमेंट कहा गया है, लेकिन इससे यह साफ झलकता है कि ढाका-इस्लामाबाद संबंधों में नई शुरुआत की कोशिश की जा रही है.

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