जब कोई युद्ध होता है, तो सिर्फ ज़मीन ही नहीं जलती, इंसानियत भी राख हो जाती है. रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से जारी जंग ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है. लेकिन अब एक ऐसा चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है, जिसने इंसानी जान की कीमत को एक बार फिर सवालों के घेरे में ला दिया है.
हाल ही में एक रूसी हैकर ग्रुप ने दावा किया है कि उन्होंने यूक्रेन के सैन्य मुख्यालय को ऑनलाइन हैक कर वहां से कुछ गुप्त दस्तावेज़ चुराए हैं और उन्हें सोशल मीडिया पर लीक किया है. इन दस्तावेज़ों में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे न केवल दिल दहला देने वाले हैं बल्कि इस युद्ध की भयावहता को भी उजागर करते हैं.
17 लाख यूक्रेनी सैनिक मारे गए: हैकर ग्रुप का दावा
रूसी हैकर ग्रुप द्वारा लीक किए गए दस्तावेज़ों के मुताबिक, फरवरी 2022 से लेकर अब तक यूक्रेन के करीब 17 लाख (1.7 मिलियन) सैनिक या तो मारे जा चुके हैं या फिर लापता हैं. इनमें से एक बड़ी संख्या 19 से 24 साल के युवा सैनिकों की बताई जा रही है.
इस दावे पर अभी तक यूक्रेन की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन यह आंकड़ा जितना बड़ा है, उतना ही दर्दनाक भी. किसी देश के इतने युवा जीवनों का एक साथ मिट जाना किसी भी समाज के लिए बहुत बड़ा नुकसान है.
जंग में मरने वालों का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं
अब तक रूस और यूक्रेन दोनों ही देश अपने मारे गए सैनिकों या नागरिकों का स्पष्ट आंकड़ा साझा करने से बचते रहे हैं. हालांकि, दोनों ही देश एक-दूसरे को पहुंचे नुकसान के आंकड़े जरूर जारी करते हैं, लेकिन जब बात अपने नुकसान की आती है, तो सन्नाटा छा जाता है.
पिछले साल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यह दावा जरूर किया था कि युद्ध में रूस और यूक्रेन के मारे गए सैनिकों का अनुपात 1:10 है. यानी अगर रूस का एक सैनिक मारा गया है, तो यूक्रेन के 10 सैनिकों की जान गई है.
वहीं, यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अब तक रूस के 10 लाख से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं, लेकिन इस आंकड़े को न केवल रूस बल्कि अमेरिका जैसे देशों ने भी संदिग्ध बताया है.
25 लाख घर तबाह, 15 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान
इस युद्ध की आर्थिक और बुनियादी ढांचे पर पड़ी मार भी कम नहीं है. इस साल की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, यूरोपीय संघ और यूक्रेनी सरकार की मदद से तैयार की गई एक रिपोर्ट सामने आई, जिसे "रैपिड डैमेज एंड नीड असेसमेंट (RDNA)" नाम दिया गया.
इस रिपोर्ट के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अब तक यूक्रेन में 25 लाख से ज्यादा घर पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं. यानी देश के करीब 13 प्रतिशत घर तबाह हो चुके हैं. इसके साथ ही देश के ऊर्जा क्षेत्र में 93% तक का नुकसान हुआ है.
बिजली उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर लगभग पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है, जिससे यूक्रेन की जनता को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है.
पुनर्निर्माण में लगेगा 46 लाख करोड़ से ज्यादा
यूक्रेन को दोबारा खड़ा करने में लगने वाला खर्च भी होश उड़ा देने वाला है. रिपोर्ट के मुताबिक, अगले 10 वर्षों में यूक्रेन के पुनर्निर्माण और पुनर्बहाली में 52.40 हजार करोड़ डॉलर (करीब 46 लाख करोड़ रुपये) से अधिक खर्च आने का अनुमान है.
यह न केवल एक आर्थिक बोझ है, बल्कि इस बात का भी प्रमाण है कि युद्ध किसी भी देश को कितनी गहराई तक तोड़ सकता है- आर्थिक रूप से, सामाजिक रूप से और भावनात्मक रूप से.
बुजुर्ग और दिव्यांग सबसे ज्यादा प्रभावित
इस युद्ध की एक और त्रासदी यह है कि जो लोग पहले से कमजोर थे, वे अब और ज्यादा संकट में हैं. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि युद्ध की विभीषिका में सबसे ज्यादा बुजुर्गों और दिव्यांग लोगों को नुकसान हुआ है.
फरवरी 2022 से लेकर दिसंबर 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक, युद्ध में घायल होकर तीन लाख से ज्यादा लोग दिव्यांग हो चुके हैं. यह आंकड़ा बताता है कि जंग सिर्फ जान ही नहीं लेती, कई बार जिंदा लोगों की ज़िंदगी को भी एक बोझ बना देती है.
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