बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के वरिष्ठ नेता और पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान के सलाहकार ज़ैनुल आबिदीन फारूक ने हाल ही में गोपालगंज में हुई हिंसा पर एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने इस हिंसा को लेकर संदेह जताते हुए इसे चुनाव टालने की एक नई साज़िश बताया. फारूक का कहना था कि अब जनता को यह समझ आने लगा है कि हर बार चुनावी माहौल के आसपास इस तरह की घटनाएँ घटित होती हैं, जिनका उद्देश्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया को विफल करना होता है.
यह बयान फारूक ने ढाका स्थित नेशनल प्रेस क्लब के बाहर आयोजित एक मानव श्रृंखला और जन प्रदर्शन कॉन्सर्ट में दिया, जिसे BNP के सांस्कृतिक संगठन जसास ने आयोजित किया था. इस कार्यक्रम के दौरान पार्टी के नेताओं और कलाकारों ने जियाउर रहमान और तारिक रहमान पर की गई टिप्पणियों का विरोध किया.
चुनाव के दौरान हमेशा क्यों होती हैं ऐसी घटनाएँ?
फारूक ने कहा, "जैसे ही चुनाव की बात होती है, कुछ ताकतें चाल चलने लगती हैं." उनका आरोप है कि गोपालगंज में हुई हिंसा की घटना उसी तरह की एक साजिश का हिस्सा हो सकती है, जो हर चुनावी मौसम में उठती है. फारूक ने कहा कि इस घटना को देखकर समझ में नहीं आता कि इसका उद्देश्य क्या था, लेकिन उनका मानना है कि यह सिर्फ एक शुरुआत हो सकती है. उनका यह भी कहना था कि यह कोई नया सिलसिला नहीं है. "हर बार जब चुनाव की तारीख नजदीक आती है, तो ऐसी घटनाएँ होती हैं, जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करने के लिए बनाई जाती हैं."
गोपालगंज हिंसा का विवरण
बांग्लादेश के गोपालगंज में बुधवार को हुई हिंसा ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. यह घटना तब हुई जब नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के नेताओं ने गोपालगंज में एक रैली आयोजित की थी. इस रैली के दौरान शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के समर्थकों ने विरोध किया, जिससे हिंसा भड़क उठी. इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को गोलियाँ चलानी पड़ीं. गोपालगंज शेख हसीना का गढ़ माना जाता है और यह उनके पिता, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान का गृहनगर भी है.
जमात-ए-इस्लामी को लेकर फारूक का तीखा हमला
फारूक ने अपने बयान में जमात-ए-इस्लामी पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि 1971 में जब पाकिस्तानी सेना बंगालियों पर हमला कर रही थी, तब जमात-ए-इस्लामी इसका जश्न मना रहा था. फारूक का कहना था कि यह देश इस इतिहास को कभी नहीं भूल सकता, और अब जमात को अपनी पुरानी गलतियों के लिए माफी माँगनी चाहिए. उन्होंने सरकार से सवाल करते हुए कहा, "एक लाख से ज्यादा पुलिसकर्मी किसके लिए हैं? 11 महीने हो गए हैं, लेकिन चुनाव क्यों नहीं हो सका? क्या यह सरकार वाकई चुनाव कराना चाहती है या फिर कुछ और सोच रही है?" फारूक ने इस सवाल का जवाब देने के लिए सरकार को चुनौती दी.
बीएनपी का साफ संदेश: निष्पक्ष चुनाव नहीं तो सड़कों पर उतरेंगे
फारूक ने यह भी स्पष्ट किया कि BNP के नेता तारिक रहमान एक ऐसे बांग्लादेश की कल्पना करते हैं, जहाँ पत्रकार स्वतंत्र रूप से अपनी बात रख सकें, लोग थानों में प्रताड़ना से बच सकें, और झूठे प्रचार का अंत हो. कार्यक्रम में कई प्रमुख चेहरों ने हिस्सा लिया, जिनमें जसास के संयोजक और अभिनेता हेलाल खान, संगीतकार नैन्सी, जसास महासचिव ज़ाकिर हुसैन, और संयोजक अहसानुल्लाह जॉनी जैसे लोग मंच पर मौजूद रहे. BNP ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि यदि निष्पक्ष चुनाव नहीं कराए गए, तो पार्टी जनता के साथ सड़कों पर उतरने के लिए तैयार है.
यह भी पढ़ें: ये सीरिया है झुकेगा नहीं! इजराइली हमले पर बोले राष्ट्रपति अहमद अल शरा, 'हम हमलों से डरते नहीं'