ढाका: बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान के जून के अंत में प्रस्तावित चीन दौरे को लेकर क्षेत्रीय रणनीति हलकों में गंभीर चर्चा शुरू हो गई है. यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब बांग्लादेश म्यांमार सीमा और कथित 'मानवीय गलियारे' को लेकर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है.
हालांकि बांग्लादेश सरकार ने स्पष्ट किया है कि "किसी भी विदेशी देश के साथ मानवीय गलियारे पर कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ है," लेकिन सेना प्रमुख की इस उच्च स्तरीय यात्रा को देश की रक्षा नीति में संभावित परिवर्तन और बहुपक्षीय रणनीतिक साझेदारी के रूप में देखा जा रहा है.
चीन का औपचारिक निमंत्रण
बांग्लादेश सेना की ओर से पुष्टि की गई है कि यह यात्रा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के आधिकारिक निमंत्रण पर हो रही है. यात्रा की तैयारियों में बांग्लादेश सेना के कई प्रमुख विभाग, जैसे पैदल सेना, तोपखाना, सैन्य खुफिया, संचार और आयुध निदेशाल सक्रिय रूप से शामिल हैं.
सूत्रों के अनुसार, इस यात्रा का प्राथमिक उद्देश्य सैन्य साजो-सामान और तकनीकी सहयोग को गहराना है.
आधुनिक हथियार प्रणालियों में दिलचस्पी
बांग्लादेश सेना के उच्च अधिकारियों ने हाल ही में चीन की वैनगार्ड कंपनी लिमिटेड के प्रतिनिधियों से चर्चा की, जिसमें कुछ उन्नत हथियार प्रणालियों, जैसे HQ-17AE सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, FK-3 मध्यम दूरी की SAM और JSG रडार सिस्टम पर विचार किया गया.
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इन हथियार प्रणालियों की खरीद पर अंतिम सहमति बनी है या नहीं, लेकिन यह बातचीत बांग्लादेश की सैन्य क्षमताओं के आधुनिकीकरण की दिशा में एक संकेत मानी जा रही है.
बीजिंग-ढाका रक्षा साझेदारी:
पिछले कुछ वर्षों में चीन और बांग्लादेश के बीच रक्षा सहयोग में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है. 2024 में दोनों देशों ने पहली बार संयुक्त सैन्य अभ्यास "गोल्डन फ्रेंडशिप-2024" आयोजित किया था, जिसमें आतंकवाद विरोधी अभियानों और शांति स्थापना जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया था.
इसके अतिरिक्त, चीन ने बांग्लादेश आयुध कारखानों और मशीन टूल्स फैक्ट्री को हथियार निर्माण की तकनीक हस्तांतरित की है, जिससे बांग्लादेश की स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि हुई है.
भारत की चिंताएं और सामरिक दृष्टिकोण
भारत के रणनीतिक समुदाय में इस यात्रा को लेकर बारीकी से नजर रखी जा रही है. हालांकि भारत और बांग्लादेश के संबंध ऐतिहासिक और बहुपक्षीय हैं, लेकिन क्षेत्र में चीनी सैन्य प्रभाव का विस्तार एक सतत चिंता का विषय है.
विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश अपने रक्षा साझेदारों में विविधता लाकर रणनीतिक संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है, न कि किसी एक ध्रुव की ओर पूरी तरह झुक रहा है.
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