Bada Mangal 2025: हिंदू धर्म में ज्येष्ठ मास के मंगलवारों का विशेष महत्व है. इस दिन को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है. खासकर उत्तर भारत में यह दिन हनुमानजी की विशेष उपासना के लिए जाना जाता है. मान्यता है कि यदि इस दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजा की जाए तो हनुमानजी की कृपा से जीवन की सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं, मंगल दोष शांत होता है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है.
आज ज्येष्ठ मास का दूसरा बड़ा मंगल है, जो अनेक शुभ योगों के साथ आ रहा है. यह दिन भक्ति, उपासना और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना जा रहा है. आइए जानते हैं आज के दिन का महत्व, पूजा की सही विधि, शुभ मुहूर्त और हनुमानजी को प्रसन्न करने के मंत्र एवं आरती.
बड़ा मंगल 2025 का महत्व
बड़ा मंगल केवल एक व्रत नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक अवसर है जब भक्त पूरे श्रद्धा भाव से हनुमानजी की पूजा करते हैं. यह दिन उन लोगों के लिए बेहद फलदायी होता है जिनकी कुंडली में मंगल दोष, शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो.
कहा जाता है कि आज के दिन अगर सच्चे मन से हनुमानजी का ध्यान किया जाए तो:
मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभाव शांत होते हैं.
शनि दोष से राहत मिलती है.
भूत-प्रेत बाधाओं का अंत होता है.
जीवन में सुख-शांति और उन्नति आती है.
बड़ा मंगल 2025 पूजा के शुभ मुहूर्त
आज के दिन पूजा के लिए दो प्रमुख मुहूर्त बन रहे हैं:
प्रथम मुहूर्त: सुबह 4:47 बजे से 5:51 बजे तक
द्वितीय मुहूर्त: शाम 7:07 बजे से 7:28 बजे तक
इन समयों में पूजा करना विशेष फलदायी रहेगा.
आज बन रहे शुभ योग
दूसरे बड़े मंगल पर दो अत्यंत शुभ योग बन रहे हैं:
इन्द्र योग – सफलता और समृद्धि का सूचक
द्विपुष्कर योग – जो कार्य आज करेंगे, उसका दोहरा फल प्राप्त होगा
हनुमानजी की पूजा विधि
प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके लाल वस्त्र धारण करें, पूजा स्थान पर लाल कपड़ा बिछाकर हनुमानजी, श्रीराम व माता सीता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें, गंगाजल से शुद्धिकरण करें, हनुमानजी को चढ़ाएं – गुड़हल का फूल, लाल चोला, रोली, अक्षत, बूंदी/लड्डू, घी का दीपक जलाकर हनुमान चालीसा, सुंदरकांड या बजरंग बाण का पाठ करें, भोग लगाने के बाद प्रसाद सभी में वितरित करें और यथाशक्ति दान करें, शाम को पुनः आरती करें और संभव हो तो रात्रि जागरण करें.
मंदिर में करें ये खास उपाय
हनुमान मंदिर जाकर चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर अर्पित करें. बाएं पैर से चोला चढ़ाना प्रारंभ करें. 5 दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें. बूंदी/लड्डू का भोग लगाकर सभी में वितरित करें.
हनुमानजी के मंत्र
हनुमानजी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की .
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे .
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई .
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए .
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई .
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे .
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे .
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे .
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे .
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें .
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई .
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे .
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई .
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की .
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
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