आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) ने एक बार फिर पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. अपनी हालिया रिपोर्ट में FATF ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और आतंकी फंडिंग नेटवर्क पर गंभीर सवाल उठाते हुए उसे अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करने वाला देश करार दिया है.
मिसाइल तकनीक की आड़ में धोखाधड़ी
रिपोर्ट में 2020 की उस बड़ी घटना का हवाला दिया गया है, जब भारत के सीमा शुल्क अधिकारियों ने पाकिस्तान की ओर से भेजे गए डुअल-यूज़ टेक्नोलॉजी से जुड़े उपकरणों को जब्त किया था. इनमें 'ऑटोक्लेव' जैसे हाई-टेक कॉम्पोनेंट शामिल थे, जो रॉकेट प्रोपेलेंट और मिसाइल निर्माण में इस्तेमाल किए जाते हैं. ये उपकरण पाकिस्तान के नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स (NDC) से जुड़े बताए गए हैं, जो कि उसके मिसाइल कार्यक्रम का एक प्रमुख केंद्र है.
FATF के अनुसार, पाकिस्तान ने इन उपकरणों के निर्यात से जुड़े दस्तावेजों में जानबूझकर गलत जानकारी दी और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों की अवहेलना की. FATF ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की ओर से दी गई सफाई अधूरी और भ्रामक थी, जिससे स्पष्ट होता है कि वह इन उपकरणों का इस्तेमाल बैलिस्टिक मिसाइल विकास के लिए कर रहा है.
"झूठे दस्तावेज, खतरनाक इरादे"
FATF के विशेषज्ञों का मानना है कि ऑटोक्लेव जैसे उपकरण बेहद संवेदनशील होते हैं और इनका इस्तेमाल केवल विशिष्ट वैज्ञानिक परीक्षण या मिसाइल संबंधी गतिविधियों में ही होता है. पाकिस्तान की तरफ से इनका 'सामान्य औद्योगिक इस्तेमाल' बताना महज एक छलावा है.
आतंकवाद पर भी फटकार
रिपोर्ट में सिर्फ मिसाइल कार्यक्रम ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर भी सीधा हमला बोला गया है. 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले का जिक्र करते हुए FATF ने कहा कि यह हमला बिना संगठित फंडिंग के संभव नहीं था. इस आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की मौत हो गई थी.
FATF ने हमले के लिए जिम्मेदार ठहराए गए आतंकी संगठन 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' (TRF) को लश्कर-ए-तैयबा का ही प्रॉक्सी बताया है, जो पाकिस्तान के इशारों पर बनाया गया था. रिपोर्ट यह भी बताती है कि हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद TRF ने पाकिस्तान के दबाव में बयान बदल लिया था.
भारत की बड़ी कूटनीतिक तैयारी
FATF रिपोर्ट के सामने आने के बाद भारत ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की पूरी तैयारी कर ली है. खबर है कि भारत के शीर्ष अधिकारियों ने FATF नेटवर्क के लगभग 200 देशों को सभी दस्तावेज और सबूत भेज दिए हैं. इसका उद्देश्य है कि पाकिस्तान को एक बार फिर ग्रे-लिस्ट में डाला जाए.
पाकिस्तान 2018 से 2022 तक FATF की ग्रे-लिस्ट में रह चुका है, और अगर दोबारा इस सूची में जाता है, तो उसके लिए IMF, वर्ल्ड बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों से लोन पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा. साथ ही विदेशी निवेश भी रुक सकता है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था और गहराई में डूब सकती है.
अगली बड़ी बैठक अक्टूबर में
FATF की अगली अहम बैठक अक्टूबर 2025 में प्रस्तावित है, जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम लिए जाने की संभावना जताई जा रही है. भारत इस मंच का उपयोग करते हुए पाकिस्तान की दोहरी नीति—एक ओर शांति की बात, दूसरी ओर आतंकी संगठनों को समर्थन—को दुनिया के सामने उजागर करने की कोशिश में है.
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