शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का हालिया शिखर सम्मेलन केवल सहयोग की बातों तक सीमित नहीं रहा—यह मंच एक बार फिर वैश्विक कूटनीति के दिलचस्प मोड़ों का गवाह बना. जहां भारत ने अपनी मजबूत उपस्थिति से दुनिया का ध्यान खींचा, वहीं एक देश ऐसा भी था जो भारत की इस कूटनीतिक ताकत को पचा नहीं पाया.
पाकिस्तान का खुला समर्थक रहा अजरबैजान, अब एक बार फिर भारत के खिलाफ बयानों की बौछार कर रहा है. SCO समिट के दौरान अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने न केवल भारत पर सीधा निशाना साधा, बल्कि पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को आगे भी प्राथमिकता देने की बात कह डाली.
SCO की सदस्यता न मिलने से नाराज़ अजरबैजान
दरअसल, अजरबैजान इस संगठन में पूर्ण सदस्यता चाहता है. वह अभी "डायलॉग पार्टनर" के रूप में जुड़ा है, लेकिन उसकी मंशा संगठन के अहम निर्णयों में भागीदारी की है. अलीयेव सरकार ने सदस्यता के लिए औपचारिक आवेदन भी कर रखा है. इस पर चीन समेत कई देशों ने हामी भर दी है, लेकिन भारत ने इसका स्पष्ट विरोध किया है. भारत के इस रुख से अजरबैजान बौखलाया हुआ है. समिट के दौरान जब अलीयेव की मुलाकात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से हुई, तो उन्होंने कहा, "भारत हमें पाकिस्तान का दोस्त होने की सजा दे रहा है. लेकिन हम पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को कम नहीं करेंगे."
भारत ने क्यों लगाया अड़ंगा?
भारत की आपत्ति केवल रणनीतिक नहीं, बल्कि नीतिगत स्तर पर है. अजरबैजान ने कई बार भारत-विरोधी रुख अपनाया है, खासकर जब बात पाकिस्तान की हो. हालिया उदाहरण देखें, तो 6-7 मई को "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत भारत ने आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी. इस दौरान अजरबैजान ने न सिर्फ भारत की आलोचना की, बल्कि पाकिस्तान का खुला समर्थन किया.
इतना ही नहीं, सीज़फायर के तुरंत बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने बाकायदा अजरबैजान की यात्रा कर, अलीयेव का आभार भी जताया था. भारत का मानना है कि ऐसा देश, जो आतंकवाद पर दोहरी नीति अपनाता है और भारत के खिलाफ पक्षपाती रवैया रखता है, उसे SCO जैसी बड़ी रणनीतिक संस्था में पूर्ण सदस्यता नहीं मिलनी चाहिए.
क्या भारत अकेले रोक सकता है सदस्यता?
हां, क्योंकि शंघाई सहयोग संगठन में किसी भी देश की सदस्यता के लिए सभी मौजूदा सदस्य देशों की सर्वसम्मति जरूरी होती है. भारत एकमात्र देश भी अगर विरोध करता है, तो किसी नए देश की सदस्यता पर ब्रेक लग सकता है. और यहीं भारत ने राजनयिक चतुराई का परिचय दिया.
भारत की कूटनीति से असहज हुआ पाकिस्तान खेम
SCO समिट में प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति और उनके साथ चीन, रूस, ईरान जैसे देशों के सौहार्दपूर्ण संवाद ने यह साफ कर दिया है कि भारत अब केवल सदस्य भर नहीं, बल्कि नेतृत्वकर्ता भूमिका में है. ऐसे में पाकिस्तान और उसके करीबी देशों की 'गुटबाज़ी' को भारत कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग कर रहा है.
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