गाजा में चल रहे संघर्ष और बढ़ते मानवीय संकट के बीच, ऑस्ट्रेलिया ने एक ऐसा फैसला लिया है जो अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई हलचल पैदा कर सकता है. लंबे समय से कैबिनेट के भीतर और जनता के बीच उठ रही मांग के बाद प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनेज ने घोषणा की है कि उनकी सरकार फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देगी. यह फैसला यूं ही नहीं लिया गया, बल्कि इसके पीछे महीनों से चल रही कूटनीतिक चर्चा और दबाव की अहम भूमिका रही है.
प्रधानमंत्री अल्बनेज ने साफ शब्दों में कहा कि गाजा में स्थायी शांति का एकमात्र रास्ता यही है कि इजराइल और फिलिस्तीन—दोनों को स्वतंत्र राज्यों के रूप में मान्यता मिले. उनके अनुसार, यही कदम वहां हिंसा और अस्थिरता की जड़ को खत्म करने की शुरुआत करेगा. उन्होंने इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की गाजा में नई सैन्य कार्रवाई की योजना की भी आलोचना की और इसे शांति की राह में रुकावट बताया.
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में मतभेद
अल्बनेज ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलिस्तीन को मान्यता देने की यह घोषणा सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से औपचारिक रूप से की जाएगी. फिलहाल, फ्रांस, ब्रिटेन और कनाडा जैसे कई देश भी इसी दिशा में कदम उठा रहे हैं, जबकि अमेरिका अब भी इस नीति का विरोध करता है और केवल इजराइल के साथ समझौते को ही समाधान मानता है.
बंधकों का मुद्दा अभी बाकी
इसी बीच, नेतन्याहू सरकार ने पिछले हफ्ते गाजा शहर में आगे बढ़ने का आदेश दिया है, जबकि कुछ समय पहले तक सेना इस कदम से बच रही थी क्योंकि वहां बंधकों की जान खतरे में थी. माना जा रहा है कि अब भी लगभग 20 बंधक जिंदा हैं. जुलाई में इजराइल और हमास के बीच युद्धविराम की बातचीत टूट जाने के बाद हालात और बिगड़ गए हैं, जिससे इस क्षेत्र में तनाव और मानवीय संकट और गहरा हो गया है. यह फैसला न केवल गाजा की राजनीति, बल्कि पूरी दुनिया के कूटनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है. अब नजरें सितंबर पर टिकी हैं, जब ऑस्ट्रेलिया अपने इस ऐतिहासिक निर्णय को अंतरराष्ट्रीय मंच पर औपचारिक रूप देगा.
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