नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनावपूर्ण हालात एक नई सैन्य चुनौती की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं. एक ओर भारत ने आतंकी संरचनाओं को निशाना बनाकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी निर्णायक कार्रवाई की है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई के नाम पर सैन्य और नागरिक ठिकानों पर हवाई हमलों की साजिश रचने की कोशिश की, जिसे भारत के बहुस्तरीय एयर डिफेंस नेटवर्क ने पूरी तरह विफल कर दिया.
विदेश मंत्रालय की एक महत्वपूर्ण प्रेस ब्रीफिंग में यह स्पष्ट किया गया कि पाकिस्तान ने 7 और 8 मई की रात को भारत के 36 शहरों पर तुर्की निर्मित ड्रोन और मिसाइलों के माध्यम से हमले का प्रयास किया. यह हमला केवल सामरिक नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक और कूटनीतिक दबाव बनाने का प्रयास भी था — और भारत ने इसे रणनीतिक संयम और पूर्ण तत्परता के साथ विफल कर दिया.
सैन्य ठिकानों को बनाया गया निशाना
विदेश मंत्रालय में विशेष संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कर्नल सोफिया कुरैशी ने जानकारी दी कि पाकिस्तान ने तुर्की में निर्मित अस्सिगार्ड सोंगर ड्रोन का उपयोग कर भारतीय वायु क्षेत्र का उल्लंघन करने की कोशिश की. ड्रोन के साथ मिसाइलों का संयोजन एक बहुस्तरीय हमला था, जो पश्चिमी सीमा के सैन्य अड्डों को निष्क्रिय करने के इरादे से किया गया था.
भारतीय वायु रक्षा प्रणाली- जिसमें इंटीग्रेटेड काउंटर-यूएएस ग्रिड, S-400 ट्रायम्फ, बराक-8 और स्वदेशी आकाश मिसाइल जैसे घटक शामिल हैं, ने 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलों को रोकने में निर्णायक भूमिका निभाई.
ड्रोनों के जरिए घुसपैठ का प्रयास
कर्नल कुरैशी ने बताया कि पाकिस्तान ने सिर्फ हवाई हमलों तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि लेह से सर क्रीक तक फैली नियंत्रण रेखा पर भारी कैलिबर हथियारों से फायरिंग भी की. इस तरह की समन्वित कोशिशें यह दर्शाती हैं कि पाकिस्तान न केवल आतंकियों के जरिए, बल्कि अब डिजिटल युद्ध तकनीक और हाई-टेक ड्रोन टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल कर रहा है.
Starting shortly.
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) May 9, 2025
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उन्होंने बताया, "भारत ने गतिज (काइनेटिक) और गैर-गतिज (नॉन-काइनेटिक) तकनीकों के ज़रिए इन ड्रोनों को लक्ष्य कर उन्हें निष्क्रिय किया. इन हमलों का मुख्य उद्देश्य भारत की हवाई सुरक्षा प्रणालियों की संवेदनशीलता को परखना और खुफिया जानकारी इकट्ठा करना था."
नागरिक विमानों का ढाल के लिए प्रयोग
विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान के एक अत्यंत चिंताजनक रुख की ओर इशारा किया. उन्होंने बताया कि हमलों के समय पाकिस्तान ने जानबूझकर अपने नागरिक हवाई क्षेत्र को पूरी तरह से बंद नहीं किया.
इसके बजाय, कराची और लाहौर जैसे व्यस्त रूटों पर नागरिक विमानों को उड़ान भरने की अनुमति दी गई, जबकि इस बात की स्पष्ट जानकारी थी कि भारत पर किए गए हमलों के बाद जवाबी कार्रवाई की संभावना रहेगी. यह एक प्रकार की रणनीतिक ढाल रणनीति है, जिसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और युद्ध कानूनों के उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है.
भारत ने इसके विपरीत, अपने हवाई क्षेत्र को अस्थायी रूप से बंद कर नागरिक हवाईयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की, जिससे भारत की सैन्य अनुशासन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के प्रति जिम्मेदारी स्पष्ट होती है.
भारत का संतुलित और जवाबी रुख
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस पूरे घटनाक्रम पर भारत की आधिकारिक स्थिति को सामने रखते हुए कहा: "पाकिस्तान द्वारा किया गया यह हमला ना केवल भड़काऊ था, बल्कि उसमें जानबूझकर नागरिक और सैन्य बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया. भारत ने जिम्मेदार और सटीक तरीके से जवाब दिया है, जो अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का सम्मान करता है."
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान का इस पूरे घटनाक्रम से इनकार करना और दोषारोपण की थ्योरी फैलाना, उनकी रणनीतिक और कूटनीतिक कमजोरी को उजागर करता है.
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