मुनीर धुन पर नाच रहे शहबाज, पाकिस्तान की ऐसी कठपुतली सरकार! अमेरिकी संसद ने खोली पोल

    पाकिस्तान में लोकतंत्र का मुखौटा अब पूरी दुनिया के सामने उतर चुका है. नाम भले ही प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का हो, लेकिन असल सत्ता पाकिस्तान की सेना के जनरल असीम मुनीर के हाथों में है. यह खुलासा अब न सिर्फ पाकिस्तान के विपक्षी नेता कर रहे हैं

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    Image Source: Meta Ai

    पाकिस्तान में लोकतंत्र का मुखौटा अब पूरी दुनिया के सामने उतर चुका है. नाम भले ही प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का हो, लेकिन असल सत्ता पाकिस्तान की सेना के जनरल असीम मुनीर के हाथों में है. यह खुलासा अब न सिर्फ पाकिस्तान के विपक्षी नेता कर रहे हैं, बल्कि अमेरिकी संसद भी इस पर चर्चा कर रही है. हाल ही में, अमेरिकी कांग्रेस की एक महत्वपूर्ण सुनवाई में पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन और लोकतंत्र के संकट पर गहरी चिंता व्यक्त की गई.

    अमेरिकी कांग्रेस में पाकिस्तान के लोकतंत्र पर चर्चा

    इस सुनवाई का संचालन टॉम लैंटोस मानवाधिकार आयोग के सह-अध्यक्ष और रिपब्लिकन सांसद क्रिस्टोफर एच स्मिथ ने किया. उन्होंने पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि हालात अब सामान्य नहीं रहे. उनका कहना था कि न केवल अमेरिकी कांग्रेस, बल्कि व्हाइट हाउस को भी पाकिस्तान में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. इस दौरान, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी सलाहकार ज़ुल्फ़ी बुखारी ने पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति का खुलासा करते हुए कहा कि इमरान खान और उनकी पत्नी के खिलाफ लगभग 200 झूठे मामले दर्ज किए गए हैं, जो केवल बदले की कार्रवाई का हिस्सा हैं.

    पाकिस्तान में सेना के दबदबे में लोकतंत्र की स्थिति

    ज़ुल्फ़ी बुखारी ने पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थिति को लेकर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अब न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं रही है और मीडिया पर भी गहरी सेंसरशिप है. जो पत्रकार सत्ता की आलोचना करते हैं, उन्हें या तो नौकरी से निकाल दिया जाता है या उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है. इसके अलावा, कानून पास करने की प्रक्रिया में भी सेना का सीधा हस्तक्षेप है, जो लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता को पूरी तरह से पंगु बना रहा है.

    यह आरोप केवल विपक्षी नेताओं तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि अमेरिकी मानवाधिकार संगठन फ्रीडम हाउस ने भी अपनी 2024 की रिपोर्ट में पाकिस्तान को "Partly Free" के दर्जे में रखा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में सेना सरकार की नीतियों में दखल देती है, मीडिया को डराती है और सरकारी ताकत का दुरुपयोग करती है, जिसका कोई जवाबदेही नहीं होती.

    2022 का राजनीतिक संकट: लोकतंत्र के खिलाफ बड़ा हमला

    पाकिस्तान में लोकतंत्र पर हमला 2022 में हुआ, जब इमरान खान को सेना की मदद से सत्ता से बाहर किया गया. इसके बाद उन्हें भ्रष्टाचार के मामलों में फंसा कर जेल भेज दिया गया और उनकी पार्टी PTI के कई नेताओं को या तो गिरफ्तार किया गया या उन्हें राजनीति से पूरी तरह बाहर कर दिया गया. इस दौरान देश में लोकतंत्र की जड़ें हिलने लगीं.

    अमेरिकी विदेश विभाग ने भी 2024 में पाकिस्तान के आम चुनावों को लेकर चिंता जताई. रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनावों के दौरान अभिव्यक्ति की आज़ादी, शांतिपूर्ण प्रदर्शन, और संगठनों की स्वतंत्रता पर कड़ी पाबंदियाँ थीं. इसके अलावा, चुनावी हिंसा और डर का माहौल भी बना रहा, जिससे पाकिस्तान के लोकतांत्रिक संस्थाओं पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया.

    पाकिस्तान में लोकतंत्र की जंग और अंतरराष्ट्रीय दबाव

    इस गंभीर स्थिति के बावजूद, पाकिस्तान सरकार की ओर से इस सुनवाई पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. हालांकि, यह मामला अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक उजागर हो रहा है, और पाकिस्तान के भीतर लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है. वर्तमान में पाकिस्तान में लोकतंत्र की असली स्थिति एक जटिल प्रश्न बन चुकी है. सेना का दबदबा और न्यायिक स्वतंत्रता की कमी इस देश की राजनीति को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर रही हैं, जिनका समाधान जल्द से जल्द होना आवश्यक है.

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