पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर इस महीने एक हफ्ते के विदेशी दौरे पर निकल रहे हैं. 20 जुलाई से शुरू होने वाली ये यात्रा 26 जुलाई तक चलेगी, जिसमें वे श्रीलंका, चीन और इंडोनेशिया जाएंगे. अब भले ही यह खबर पहली नज़र में एक सामान्य सैन्य दौरा लगे, लेकिन असल कहानी इससे कहीं बड़ी और पेचीदा है.
यह दौरा सिर्फ तस्वीरें खिंचवाने या औपचारिक मुलाक़ातों का सिलसिला नहीं है. दरअसल, ये एक ऐसे मिशन का हिस्सा है जिसमें पाकिस्तान अपने सैन्य प्रमुख के ज़रिए भारत के बढ़ते कूटनीतिक प्रभाव को रोकने की कोशिश कर रहा है. और हां, इस पूरी कवायद में रिमोट कंट्रोल चीन के हाथ में है.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बौखलाया पाकिस्तान
भारतीय सेना के हालिया ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को अंदर से हिला दिया है. खासतौर से पीओके में भारतीय सैन्य कार्रवाई की चर्चा पाकिस्तान की सत्ता और सेना दोनों के गलियारों में डर और बेचैनी पैदा कर चुकी है. ऐसे में असीम मुनीर का यह तीन देशों का दौरा पाकिस्तान की उसी बौखलाहट का जवाब है.
मुनीर का टारगेट सिर्फ द्विपक्षीय रिश्तों की बात करना नहीं है, बल्कि उन देशों में जाकर भारत के प्रभाव को कमज़ोर करना है, जहां अभी तक नई दिल्ली की मजबूत पकड़ दिख रही है.
चीन के जरिए चल रही स्क्रिप्ट
श्रीलंका, चीन और इंडोनेशिया — ये तीनों देश भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और इंडो-पैसिफिक रणनीति में अहम रोल निभाते हैं. अब सवाल उठता है कि मुनीर को इन तीनों देशों में ही क्यों भेजा गया? इसका जवाब है — बीजिंग की प्लानिंग.
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह दौरा पाकिस्तानी सेना का नहीं, बल्कि चीन का प्लान है. बीते कुछ महीनों में भारत ने G20, ब्रिक्स और IMEC जैसे मंचों पर जो लीडरशिप दिखाई है, उससे चीन असहज है. वह खुलेआम कुछ नहीं कह सकता, लेकिन पाकिस्तान को मोहरा बनाकर अपने इरादे जरूर ज़ाहिर कर रहा है.
श्रीलंका और इंडोनेशिया में चीन की दिलचस्पी
मुनीर के इस दौरे में चीन सिर्फ एक स्टॉप नहीं है, बल्कि पूरी स्क्रिप्ट का डायरेक्टर है. श्रीलंका और इंडोनेशिया जैसे देश भारत के साथ रणनीतिक और आर्थिक तौर पर जुड़े हुए हैं. ऐसे में चीन चाहता है कि पाकिस्तान के ज़रिए वहां भारत के प्रभाव को चुनौती दी जाए.
भारत की कूटनीति इन देशों में जितनी मज़बूत हुई है, चीन को उतना ही डर सता रहा है कि उसकी पकड़ ढीली पड़ती जा रही है. ऐसे में असीम मुनीर को चीन की शह पर इन देशों में भेजना उसी खेल का हिस्सा है.
पाकिस्तान की अपनी हालत भी है बेहद खराब
अब बात पाकिस्तान की करें तो वह खुद इस वक्त गहरे संकट में है. देश की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है, राजनीति रोज़ नए ड्रामे दिखा रही है, और आतंकी नेटवर्कों से रिश्ते आज भी उसके गले की हड्डी बने हुए हैं. ऐसे में भारत के आसपास के देशों में जाकर खुद को "विकल्प" की तरह पेश करना पाकिस्तान की आखिरी उम्मीद जैसी लगती है.
लेकिन सच्चाई यह है कि वैश्विक दक्षिण में भारत के सामने पाकिस्तान की कोई साख नहीं बची है. जिन देशों में पाकिस्तान खुद को घुसाने की कोशिश कर रहा है, वहां भारत पहले ही अपने भरोसे और नेतृत्व से मजबूत स्थिति में है.
चीन की अपनी दिक्कतें, पाकिस्तान के कंधे पर बंदूक
भारत ने पिछले कुछ सालों में अफ्रीका, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में जिस तरह से कूटनीतिक, व्यापारिक और रणनीतिक बढ़त हासिल की है, वो चीन के लिए चिंता का विषय है. लेकिन वह सीधे भारत से भिड़ नहीं सकता, इसलिए अब वह पाकिस्तान को मैदान में उतार रहा है.
बीजिंग जानता है कि पाकिस्तान की छवि भले ही खराब हो, लेकिन वह उसके इशारे पर काम करने को तैयार है. यही वजह है कि असीम मुनीर का दौरा एक सैन्य औपचारिकता से ज़्यादा, एक कूटनीतिक शतरंज का हिस्सा लगता है.
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