आधी रात में अचानक वॉशिंगटन के सड़कों पर उतरी फौज, जानें ट्रंप के इस फैसले के पीछे की वजह

    America News: सोचिए, आधी रात है… वॉशिंगटन डीसी की सड़कों पर अचानक नेशनल गार्ड की तैनाती हो जाती है. लोग चौंकते हैं, डरते हैं, कयास लगने लगते हैं कि क्या कोई हमला हुआ है? कोई दंगा? कोई इमरजेंसी? लेकिन हैरानी की बात ये है कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

    army on the streets of Washington know the reason behind this decision of Trump
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    America News: सोचिए, आधी रात है… वॉशिंगटन डीसी की सड़कों पर अचानक नेशनल गार्ड की तैनाती हो जाती है. लोग चौंकते हैं, डरते हैं, कयास लगने लगते हैं कि क्या कोई हमला हुआ है? कोई दंगा? कोई इमरजेंसी? लेकिन हैरानी की बात ये है कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

    ये सब हुआ बस एक आदेश से, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अचानक लिए गए फैसले से, जिसमें उन्होंने बिना किसी सार्वजनिक चेतावनी के 800 नेशनल गार्ड को राजधानी की सड़कों पर उतार दिया. अब सवाल ये उठता है कि ऐसे हालात में जब अपराध दर लगातार गिर रही है, आखिर ये कदम क्यों उठाया गया?

    अपराध कम हो रहा था, फिर भी फौज क्यों?

    दिलचस्प बात ये है कि वॉशिंगटन डीसी में इस समय अपराध का ग्राफ गिर रहा है. मेट्रोपॉलिटन पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि 2024 में हिंसक अपराधों में 35% की गिरावट आई. एफबीआई भी कहती है कि अपराध दर में 9% की कमी आई है. 2025 की शुरुआत में डकैती में 25% और हत्या में 12% की गिरावट दर्ज की गई. यानि राजधानी में माहौल बेहतर हो रहा था. तब फिर ये मिलिट्री-लेवल की तैयारी क्यों?

    "राजधानी को गैंग से आज़ाद कराना है"

    राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि डीसी में गैंग एक्टिविटी और संगठित अपराध की आशंका उन्हें परेशान कर रही थी. उनका दावा है कि कुछ इलाकों में "गैंगों का कब्जा" बढ़ता जा रहा है और वो इसे खत्म करना चाहते हैं, इससे पहले कि हालात बिगड़ें. लेकिन ये तर्क कई लोगों को पूरी तरह से नहीं जंच रहा.

    इतिहास में झांकें तो फर्क साफ दिखता है

    नेशनल गार्ड को सड़क पर उतारना अमेरिका में एक बड़ा कदम माना जाता है. ऐसा आमतौर पर सिर्फ बहुत ही गंभीर स्थितियों में किया जाता है. जैसे, 2020 में ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के दौरान जब देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए. 2021 में कैपिटल हिल पर हुए हमले के बाद सुरक्षा के लिए, 1968 में मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या के बाद हिंसा भड़की.  इन सभी मामलों में हालात वाकई बेकाबू थे. लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं है, न दंगे, न हमले, न कोई ताजा खतरा. तो फिर राष्ट्रपति ट्रंप का ये फैसला सामान्य नहीं कहा जा सकता.

    वाकई कोई अंदरूनी खतरा?

    विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का ये फैसला आने वाले चुनावों को ध्यान में रखकर लिया गया हो सकता है. “कानून और व्यवस्था” के एजेंडे को सामने लाना, सख्ती का संदेश देना, ये सब उनकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है. हालांकि कुछ रिपोर्ट्स ये भी इशारा कर रही हैं कि सरकार को कुछ ऐसी खुफिया जानकारी मिली हो जिसे फिलहाल सार्वजनिक नहीं किया गया है.

    फिलहाल सवाल बाकी हैं…

    एक बात तो साफ है कि जब शांति हो और फिर भी सड़कों पर सेना दिखे, तो सवाल उठते हैं. और जब जवाब धुंध में हो, तो चर्चा और तेज हो जाती है. आगे देखना ये होगा कि ट्रंप प्रशासन इस फैसले के पीछे की असल वजह कब और कितनी पारदर्शिता से सामने लाता है.

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