भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस पार्टी और उसके शीर्ष नेतृत्व पर नेशनल हेराल्ड केस को लेकर एक बार फिर तीखा सवाल उठाया है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह मामला केवल एक आर्थिक अनियमितता नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी के भीतर “सिस्टमेटिक मॉडल” जैसा है, जिसमें परिवार विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए योजनाबद्ध ढंग से संपत्तियों का उपयोग किया गया. इसी दौरान उन्होंने कहा कि नेशनल हेराल्ड का नाम सुनते ही आज कांग्रेस पार्टी के पूरे इकोसिस्टम में छटपटाहट, कंपकंपाहट, धड़धड़ाहट, डगमगाहट, लड़खड़ाहट होने लगती है.
"कागज़ों पर था अख़बार, लेकिन दौलत असली थी"
अनुराग ठाकुर ने अपने बयान में कहा कि ‘नेशनल हेराल्ड’ अखबार भले ही अब प्रिंट में नहीं आता, लेकिन इसके नाम पर आज भी हजारों करोड़ की संपत्तियां मौजूद हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर यह अखबार वाकई बंद हो चुका था, तो उसकी संपत्ति का प्रबंधन किस आधार पर और किस मकसद से किया गया? उनके मुताबिक, ‘यंग इंडियन’ नाम की कंपनी के जरिए महज 50 लाख रुपये में करीब 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का हस्तांतरण किया गया, जो आमजन की समझ से परे है.
"क्या कांग्रेस को लोन देने का अधिकार था?"
ठाकुर का आरोप है कि कांग्रेस पार्टी ने खुद ही यंग इंडियन को 50 लाख का लोन दिया और फिर अपनी ही सहायक कंपनी एजेएल (एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड) का करीब 90 करोड़ रुपये का बकाया माफ कर दिया. उन्होंने पूछा, "क्या किसी राजनीतिक पार्टी को ऋण देने और उसे माफ करने का कानूनी अधिकार है? और अगर लोन दिया था, तो क्या उस पर कोई ब्याज वसूला गया?"
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76% शेयर सिर्फ एक परिवार के पास – क्यों?
अनुराग ठाकुर ने यह भी सवाल उठाया कि यंग इंडियन कंपनी में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी केवल एक ही परिवार के पास कैसे और क्यों है, जबकि यह कंपनी सार्वजनिक हित के लिए बनाई गई थी. उन्होंने कहा कि यंग इंडियन के जरिए AJL की संपत्तियों का नियंत्रण कांग्रेस नेतृत्व के पास ही बना रहा.
“विज्ञापन मिलता है, पाठक नहीं”
ठाकुर ने यह भी आरोप लगाया कि नेशनल हेराल्ड जैसे अखबार, जो अब प्रिंट नहीं होते, फिर भी कांग्रेस-शासित राज्यों में विज्ञापन प्राप्त करते हैं, जबकि उनके पास कोई वास्तविक पाठक आधार नहीं है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “जहां बड़े-बड़े अखबारों को सरकारें चवन्नी देती हैं, वहीं नेशनल हेराल्ड को चांदी के सिक्के दिए जाते हैं.”
कांग्रेस की प्रतिक्रिया का इंतजार
इस पूरे मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई है, लेकिन पूर्व में पार्टी नेतृत्व ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया है और कहा है कि यह मामला कानून के दायरे में पूरी तरह से पारदर्शी ढंग से संचालित हुआ है.