नई दिल्ली: अन्ह डुओंग की जीवन यात्रा सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि संकट से साहस तक की कहानी है. एक सात साल की वियतनामी लड़की, जो युद्ध की भयावहता से भागते हुए शरणार्थी के रूप में अमेरिका पहुंची, और आगे चलकर अमेरिकी सैन्य तकनीक की अग्रणी वैज्ञानिक बनीं. उन्होंने न सिर्फ अमेरिका की रक्षा प्रणाली को नया आयाम दिया, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक अभियान में अहम भूमिका निभाई.
शुरुआत: युद्ध से भागकर शरण की तलाश
डुओंग का जन्म दक्षिण वियतनाम के सैगॉन (अब हो ची मिन्ह सिटी) में हुआ था. 1970 के दशक में जब वियतनाम युद्ध चरम पर था और उत्तरी वियतनामी सेनाओं ने सैगॉन पर कब्जा कर लिया, तब उनका परिवार वहां से फिलीपींस होते हुए अमेरिका पहुंचा. अमेरिका में भी शुरुआती वर्षों में भाषा, संसाधनों और पहचान की चुनौतियों ने उनका साथ नहीं छोड़ा. फिर भी डुओंग ने अपने संकल्प को टूटने नहीं दिया.
शिक्षा और विज्ञान की ओर कदम
अन्ह डुओंग ने यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की और उसके बाद पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स किया. उनके लिए विज्ञान सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम था — विशेषकर उस देश के लिए जिसने उनके परिवार को शरण दी थी.
9/11 के बाद बदला जिम्मा
11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हुए आतंकी हमलों के बाद, अमेरिका ने जब अफगानिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर कार्यवाही की योजना बनाई, तो उसे ऐसे हथियारों की आवश्यकता थी जो पर्वतीय बंकरों और सुरंगों में छिपे दुश्मनों को निष्क्रिय कर सकें.
डुओंग को नेवल सरफेस वॉरफेयर सेंटर के इंसेंसिटिव म्यूनिशन्स प्रोजेक्ट का नेतृत्व सौंपा गया. उन्हें जो काम दिया गया, वह सामान्यतः 5 वर्षों में पूरा होता, लेकिन उनकी टीम ने उसे सिर्फ 67 दिनों में कर दिखाया. उन्होंने जो बम विकसित किया, उसका नाम था: BLU-118/B — एक थर्मोबारिक बंकर बस्टर हथियार, जो दुर्गम पहाड़ी बंकरों को भेद सकता था.
टेक्नोलॉजी जो युद्ध का रुख बदल दे
इस हथियार की वजह से अमेरिकी सेना को ज़मीनी टुकड़ियों की व्यापक तैनाती की आवश्यकता नहीं पड़ी. एयरस्ट्राइक्स से ही आतंकी नेटवर्क को निशाना बनाया गया. इस हथियार का अगला वर्जन GBU-57 या Massive Ordnance Penetrator (MOP) बना, जिसे हाल ही में ईरान के फोर्दो न्यूक्लियर फैसिलिटी के संदर्भ में उल्लेख किया गया है.
अन्ह डुओंग: 'बम लेडी' से आगे
आज अन्ह डुओंग को अमेरिकी रक्षा जगत में 'Bomb Lady' कहा जाता है, लेकिन उनकी पहचान इससे कहीं अधिक व्यापक है — एक प्रवासी महिला वैज्ञानिक, जो विज्ञान, रणनीति और देशभक्ति के मेल से एक प्रतीक बन गईं. वह इस बात का उदाहरण हैं कि आपात स्थिति में जन्मी प्रतिभा कैसे एक राष्ट्र की रक्षा का स्तंभ बन सकती है.
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