'कहीं पर भी FIR दर्ज हो, 3 साल में न्याय मिलकर रहेगा...' नए अपराधिक कानूनों पर बोले अमित शाह, वीडियो

    भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत को चिन्हित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को भरोसा जताया कि देशभर में नए आपराधिक कानूनों के पूर्ण रूप से लागू होने के बाद तीन साल के भीतर हर केस में न्याय सुनिश्चित किया जाएगा.

    Amit Shah said on completion of 1 year of new criminal laws
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    नई दिल्ली: भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत को चिन्हित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को भरोसा जताया कि देशभर में नए आपराधिक कानूनों के पूर्ण रूप से लागू होने के बाद तीन साल के भीतर हर केस में न्याय सुनिश्चित किया जाएगा.

    दिल्ली में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में बोलते हुए गृह मंत्री ने कहा, "मैं पूरे देशवासियों को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि चाहे एफआईआर देश के किसी भी कोने में दर्ज हो, तीन साल के भीतर न्याय मिलेगा, यह सरकार की गारंटी है."

    न्याय प्रणाली के कायाकल्प की दिशा में बड़ा कदम

    1 जुलाई 2024 को लागू किए गए तीन नए आपराधिक कानून —

    • भारतीय न्याय संहिता (BNS)
    • भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)
    • भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)

    ने भारतीय दंड संहिता (IPC), क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह ले ली है. गृह मंत्री ने कहा कि ये कानून न केवल औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त हैं, बल्कि ये समयबद्ध न्याय, तकनीकी समावेशन और नागरिक अधिकारों की रक्षा को केंद्र में रखते हैं.

    न्याय के लिए लंबा इंतजार अब इतिहास बनेगा

    शाह ने बताया कि इन कानूनों के लागू होने के साथ ही देशभर की न्याय व्यवस्था में 'जांच, सुनवाई और फैसले' की स्पष्ट समय-सीमाएं तय की गई हैं.

    अमित शाह ने कहा, "पहली बार देश में ऐसा कानूनी ढांचा बना है जो तय करता है कि कब एफआईआर दर्ज होगी, चार्जशीट कब दायर होगी, गवाही कितने समय में होगी और कब फैसला आएगा."

    उन्होंने जोर देकर कहा कि इस सुधार का उद्देश्य लाखों लंबित मामलों के बोझ को घटाना, और पीड़ितों को लंबे इंतजार से राहत देना है.

    डिजिटलीकरण और तकनीकी एकीकरण पर जोर

    नए कानूनों में डिजिटल सबूतों को कानूनी मान्यता, वीडियो रिकॉर्डिंग, और ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा को भी शामिल किया गया है, जो न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगा, बल्कि तथ्यों की सटीकता और ट्रैकिंग को भी सुदृढ़ करेगा.

    शाह ने कहा, "अब कोर्ट में पेश होने वाले वीडियो सबूत, इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ और डिजिटल प्रक्रिया को कानूनी मान्यता मिली है. यह न्याय प्रणाली को 21वीं सदी के अनुरूप बनाएगा."

    "तीन साल के बाद देश बदलेगा"

    गृह मंत्री के अनुसार, इन सुधारों के व्यवहारिक क्रियान्वयन और ट्रेनिंग प्रक्रिया को पूरी तरह साकार होने में अधिकतम तीन वर्ष लगेंगे. इस दौरान देशभर के पुलिस अधिकारियों, न्यायिक कर्मचारियों और अधिवक्ताओं को नई प्रक्रिया में प्रशिक्षित किया जा रहा है.

    उन्होंने कहा, "हमारी कोशिश है कि हर थाने से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक, हर स्तर पर ये कानून समझे जाएं और सही ढंग से लागू हों."

    नए कानूनों का उद्देश्य: पीड़ित केंद्रित न्याय

    सरकार का मानना है कि पुराने कानूनों में अपराधी के अधिकारों पर अधिक ध्यान दिया गया था, जबकि पीड़ित अक्सर उपेक्षित रह जाता था. नए कानून पीड़ित की सुरक्षा, संतुष्टि और समयबद्ध न्याय को केंद्र में रखते हैं.

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