अमेरिकी B-2 बॉम्बर्स ने भरी उड़ान, खतरे में ईरान का फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट, रूस-चीन की बढ़ी बेचैनी

    अमेरिका के अत्याधुनिक B-2 स्पिरिट स्टेल्थ बॉम्बर्स ने मिसौरी स्थित व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से उड़ान भरकर पैसिफिक क्षेत्र के गुआम बेस की ओर रुख किया है.

    American B-2 bombers took off Fordo nuclear plant in danger
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    वॉशिंगटन/तेहरान/तेल अवीव: ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध की पृष्ठभूमि में अमेरिका की सैन्य गतिविधियों ने एक नई रणनीतिक दिशा ले ली है. हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका के अत्याधुनिक B-2 स्पिरिट स्टेल्थ बॉम्बर्स ने मिसौरी स्थित व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से उड़ान भरकर पैसिफिक क्षेत्र के गुआम बेस की ओर रुख किया है. यह कदम, भू-राजनीतिक संकेतों के लिहाज से, बेहद अहम माना जा रहा है.

    क्या है इस तैनाती का मतलब?

    रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इन विमानों की उड़ान मनोवैज्ञानिक दबाव (Psychological Signaling) का हिस्सा हो सकती है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर मिशन की पुष्टि नहीं की है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह ईरान के भूमिगत परमाणु ठिकानों को लक्षित करने की तैयारी का संकेत हो सकता है — विशेष रूप से फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी.

    'बंकर बस्टर' बम: जमीन के भीतर हमला

    इन विमानों में संभावित रूप से GBU-57A/B Massive Ordnance Penetrator (MOP) नामक बम लदे हो सकते हैं. ये बम लगभग 30,000 पाउंड (करीब 13.6 टन) के होते हैं और इन्हें विशेष रूप से ऐसे अत्यधिक सुरक्षित भूमिगत ठिकानों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो सामान्य एयरस्ट्राइक से अप्रभावित रहते हैं.

    JINSA के फॉरेन पॉलिसी डायरेक्टर जोनाथन रूहे के मुताबिक, यह हथियार “धरती की सतह को भेदता है और लक्ष्य को गहराई में जाकर तबाह करता है.”
    मार्क डुबोविट्ज़, (Foundation for Defense of Democracies) का कहना है कि, “फोर्डो जैसी साइट पर हमला सिर्फ अमेरिका की क्षमता में है.”

    फोर्डो: ईरान का सुरक्षित न्यूक्लियर कॉम्प्लेक्स

    • फोर्डो फैसिलिटी, तेहरान से करीब 95 किलोमीटर दूर स्थित है.
    • यह एक पर्वतीय संरचना के भीतर, जमीन से 90 मीटर गहराई में बनाया गया है.
    • यहां ईरान 60% संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन कर रहा है, जो परमाणु हथियारों के लिए आवश्यक 90% स्तर के बेहद करीब है.

    इस सुविधा की भौगोलिक और संरचनात्मक सुरक्षा के कारण, इसे अब तक "अभेद्य" माना जाता रहा है.

    चीन और रूस की चिंताएं

    B-2 बॉम्बर्स की गतिविधि पर चीन और रूस दोनों की नजरें हैं. इन दोनों देशों ने पहले ही इजरायल-ईरान टकराव में किसी भी बाहरी सैन्य हस्तक्षेप को लेकर चिंता जताई है. विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की यह रणनीतिक मौजूदगी, सिर्फ ईरान ही नहीं, बल्कि बीजिंग और मॉस्को के लिए भी एक स्पष्ट संदेश है — अमेरिका किसी भी स्थिति में अपनी सुरक्षा और सहयोगी देशों की रक्षा के लिए तैयार है.

    क्या यह कार्रवाई का संकेत है?

    अब तक अमेरिका ने स्पष्ट रूप से सैन्य कार्रवाई की पुष्टि नहीं की है, लेकिन निम्न संकेतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता:

    • बॉम्बर्स की लंबी दूरी की तैनाती
    • मिड-एयर रीफ्यूलिंग (जो सामान्य स्थिति में आवश्यक नहीं)
    • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर बढ़ती चिंता

    यह स्थिति बताती है कि अमेरिका, यदि आवश्यक हुआ, तो सर्जिकल स्ट्राइक या लक्ष्यभेदी हमले के लिए तैयार है, और यह कार्रवाई इजरायल के साथ समन्वय में हो सकती है.

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