वॉशिंगटन: आधुनिक युद्ध तकनीक में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. चीन के बाद अब अमेरिका भी सैन्य उपयोग के लिए ह्यूमनॉइड रोबोट्स विकसित करने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. अमेरिका की एक रोबोटिक्स कंपनी भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बड़े पैमाने पर ऐसे रोबोट तैयार कर रही है, जिन्हें युद्ध क्षेत्र और खतरनाक मिशनों में इंसानी सैनिकों की जगह तैनात किया जा सके.
कंपनी का लक्ष्य 2027 तक करीब 50,000 ह्यूमनॉइड रोबोट तैयार करने का है. इन रोबोट्स को “फैंटम MK-1” नाम दिया गया है. इन्हें केवल सैन्य कार्यों के लिए ही नहीं, बल्कि फैक्ट्रियों और औद्योगिक क्षेत्रों में भी इस्तेमाल करने की योजना है.
फैंटम MK-1: डिजाइन और क्षमताएं
फैंटम MK-1 एक इंसान जैसे आकार का रोबोट है, जिसकी ऊंचाई लगभग 5 फीट 9 इंच और वजन 175 से 180 पाउंड के बीच बताया जा रहा है. इन रोबोट्स को खास तौर पर ऐसे कार्यों के लिए डिजाइन किया गया है, जहां इंसानी जान को सबसे ज्यादा खतरा होता है.
इनकी प्रमुख भूमिकाओं में शामिल हैं:
योजना यह है कि किसी भी खतरनाक ऑपरेशन में सबसे पहले रोबोट भेजे जाएं, ताकि सैनिकों की जान को न्यूनतम जोखिम हो.
उत्पादन योजना: 50 हजार रोबोट्स का रोडमैप
तकनीकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी ने शुरुआत में 2026 तक 10,000 रोबोट बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब इस योजना को और विस्तार दिया गया है.
कंपनी की टीम में टेस्ला, बोस्टन डायनेमिक्स और स्पेसएक्स जैसी दिग्गज टेक कंपनियों में काम कर चुके इंजीनियर और विशेषज्ञ शामिल हैं.
बिक्री नहीं, किराए पर मिलेंगे रोबोट
कंपनी इन रोबोट्स को बेचने के बजाय लीज मॉडल पर उपलब्ध कराएगी. हर रोबोट का सालाना किराया लगभग 1 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 90 लाख रुपये) तय किया गया है.
कंपनी का दावा है कि एक रोबोट लगातार काम कर सकता है और कई इंसानों की जगह ले सकता है, जिससे लंबे समय में लागत कम हो सकती है. हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि फिलहाल रोबोट्स इंसानों जैसी निरंतर दक्षता हासिल नहीं कर पाए हैं.
सेंसर की जगह कैमरों का इस्तेमाल
फैंटम MK-1 में महंगे और जटिल सेंसर सिस्टम के बजाय कैमरा-आधारित विजन सिस्टम लगाया गया है. इससे डेटा प्रोसेसिंग आसान होती है और कठिन इलाकों में भी रोबोट बेहतर ढंग से काम कर सकता है.
इसके अलावा, इनमें खास तरह के लो-नॉइज़ एक्ट्यूएटर्स लगाए गए हैं, जो:
हथियारों पर इंसानी नियंत्रण अनिवार्य
कंपनी का कहना है कि ये रोबोट स्वतंत्र रूप से हमला नहीं करेंगे. हथियारों के इस्तेमाल का अंतिम फैसला हमेशा मानव ऑपरेटर के हाथ में रहेगा. यानी गोली चलाने या हमला करने का अधिकार केवल इंसान के पास होगा, न कि मशीन के पास.
इस व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मानवीय नियंत्रण और जवाबदेही बनी रहे.
फायदे के साथ गंभीर सवाल भी
जहां एक ओर इन रोबोट्स से सैनिकों की जान बचाने और जोखिम कम करने की उम्मीद है, वहीं दूसरी ओर कुछ गंभीर चिंताएं भी सामने आ रही हैं. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि जब युद्ध में इंसानी नुकसान कम होगा, तो राजनीतिक स्तर पर युद्ध शुरू करने का फैसला आसान हो सकता है.
गौरतलब है कि इससे पहले चीन भी सैन्य रोबोट्स की तैनाती की दिशा में कदम उठा चुका है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने वियतनाम सीमा के पास रोबोट्स तैनात करने की योजना बनाई है और इसके लिए विशेष कंपनियां रोबोट विकसित कर रही हैं.