तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन, जिन्हें उनके समर्थक खलीफा कहकर पुकारते हैं, एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय हथियार डिप्लोमेसी में घिर गए हैं. अमेरिका ने तुर्की को F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट बेचने से इनकार कर दिया है, जिससे एर्दोगन की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से लेकर कई स्तरों पर कोशिश की थी, लेकिन बात नहीं बनी. अब उनकी नजरें ब्रिटेन पर हैं.
अब उम्मीदें यूरोफाइटर टाइफून पर
सूत्रों के मुताबिक, तुर्की और ब्रिटेन एक अंतरिम समझौते के बेहद करीब हैं, जिसके तहत तुर्की ब्रिटिश मूल के यूरोफाइटर टाइफून जेट खरीद सकता है. यह वही फाइटर जेट है जिसे ब्रिटेन, जर्मनी, इटली और स्पेन ने मिलकर विकसित किया है. इसीलिए सिर्फ ब्रिटेन की हामी काफी नहीं, सभी साझेदार देशों की सहमति जरूरी होगी.
IDF एक्सपो में तय हो सकता है सौदा
ब्रिटेन के रक्षा सचिव जॉन हीली इस हफ्ते इस्तांबुल के IDEF हथियार मेले में पहुंच रहे हैं. माना जा रहा है कि उसी दौरान इस सौदे पर हस्ताक्षर हो सकते हैं. मिडिल ईस्ट आई की रिपोर्ट कहती है कि यह डील अब लगभग फाइनल है. ब्रिटेन ने तो चुप्पी साध रखी है, लेकिन तुर्की के रक्षा मंत्रालय के इशारों से तस्वीर साफ़ होती जा रही है.
जर्मनी के वीटो को कर चुके हैं पार
2023 से तुर्की और ब्रिटेन इस डील पर बात कर रहे हैं, लेकिन रास्ते में कई अड़चनें थीं. 2024 की शुरुआत में तुर्की ने जर्मनी के वीटो को पीछे छोड़ते हुए अहम कूटनीतिक जीत हासिल की थी. अब सवाल कीमत और तकनीकी शर्तों का है.
कीमत पर अभी खींचतान जारी
ब्रिटेन ने शुरुआती तौर पर 40 यूरोफाइटर टाइफून के लिए करीब 12 अरब डॉलर की कीमत रखी थी. अंकारा को यह काफी ज्यादा लगी. इस वक्त दोनों देशों के बीच कीमत, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और पायलट ट्रेनिंग जैसे बिंदुओं पर बातचीत जारी है.
पुराने हो चुके हैं तुर्की के फाइटर जेट
तुर्की की वायुसेना फिलहाल F-16 जैसे अमेरिकी विमानों पर निर्भर है. लेकिन उनका फ्लीट धीरे-धीरे पुराना हो रहा है. देश का घरेलू प्रोजेक्ट KAAN फाइटर 2028 तक ऑपरेशनल नहीं होगा, इसलिए टाइफून एक अस्थायी लेकिन अहम विकल्प बन सकता है.
सेकंड हैंड फाइटर का भी ऑप्शन
तेजी से आपूर्ति पाने के लिए अंकारा खाड़ी देश कतर से कुछ सेकंड हैंड यूरोफाइटर खरीदने पर भी विचार कर रहा है. इससे पायलट्स को शुरुआती ट्रेनिंग मिल सकेगी और समय की भी बचत होगी.
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