हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता अब अमेरिका के लिए सीधी चुनौती बनती जा रही है. इसी पृष्ठभूमि में अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने सिंगापुर में एक अहम सुरक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए साफ कर दिया कि चीन के इरादों को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने चेतावनी दी कि ताइवान के आसपास चीन की सैन्य गतिविधियां सीधे तौर पर युद्ध की तैयारी का संकेत देती हैं.
ताइवान की ओर बढ़ते चीन के कदम, अमेरिका सतर्क
पीट हेगसेथ ने कहा कि चीन जिस तरह ताइवान के पास सैन्य अभ्यास कर रहा है, वह एक सधी हुई रणनीति का हिस्सा है. अमेरिका इसे ताइवान की नाकाबंदी और हमले की तैयारी के रूप में देख रहा है. उन्होंने कहा कि यदि चीन ने ताइवान पर हमला किया, तो यह सीधे-सीधे अमेरिका को सैन्य टकराव में खींच सकता है.
इंडो-पैसिफिक में अमेरिका की मौजूदगी और बढ़ेगी
हेगसेथ ने संकेत दिए कि अमेरिका जल्द ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी और ठोस करेगा. उन्होंने कहा कि अमेरिका अपने साझेदार देशों को चीन के दबाव के सामने अकेला नहीं छोड़ेगा. "हम भागीदारों के साथ खड़े हैं – चाहे बात सैन्य सहयोग की हो या सामरिक रणनीति की," उन्होंने कहा.
चीन के लिए दोहरी रणनीति नहीं चलेगी: हेगसेथ
हेगसेथ ने उन देशों को भी चेतावनी दी जो एक ओर अमेरिका से सुरक्षा सहयोग चाहते हैं और दूसरी ओर चीन के साथ व्यापारिक नजदीकियां बनाए रखना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि यह दोतरफा खेल अब ज्यादा देर तक नहीं चलेगा. "आपको यह तय करना होगा कि आप किस ओर हैं – लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ या विस्तारवादी आकांक्षाओं के साथ," उन्होंने दो टूक कहा.
चीन की तैयारियों से बढ़ी चिंताएं
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन वर्ष 2027 तक अपनी सेना को ताइवान पर कब्जे के लिए पूरी तरह तैयार कर लेना चाहता है. इसके लिए वह हाईपरसोनिक मिसाइलों, अंतरिक्ष क्षमताओं और दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीपों के जरिए अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है. चीन की ये गतिविधियां अमेरिका को लगातार सतर्क कर रही हैं.
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