आसिम मुनीर की तारीफ में कसीदे पढ़ रहा अमेरिका, ट्रंप की आर्मी भी ट्रंप जैसी ही निकली; भारत के खिलाफ कैसी तैयारी?

    अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला का बयान अब चर्चा में है, जिन्होंने पाकिस्तान की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भूमिका की सराहना की है.

    America praises Asim Munir Trump army India
    आसिम मुनीर | Photo: X

    दुनिया की राजनीति में रिश्ते अक्सर स्थायी नहीं होते, लेकिन अमेरिका और पाकिस्तान के बीच का रिश्ता जितना विरोधाभासी है, उतना शायद ही किसी और देशों के बीच देखने को मिले. कभी अमेरिका पाकिस्तान को आतंकवाद का अड्डा कहता है, तो कभी उसी को "बेहतर साझेदार" करार दे देता है. ताज़ा मामला भी कुछ ऐसा ही है—अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला का बयान अब चर्चा में है, जिन्होंने पाकिस्तान की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भूमिका की सराहना की है. हैरानी की बात यह है कि उसी सांस में उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि 2024 में एक पाकिस्तानी नागरिक ने न्यूयॉर्क में आतंकी हमला करने की साजिश रची थी.

    'पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका का बेहतरीन सहयोगी'

    टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी हाउस आर्म्ड सर्विसेज कमेटी के सामने पेश होकर जनरल कुरिल्ला ने दावा किया कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका का "बेहतरीन सहयोगी" रहा है. उन्होंने खासतौर पर पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की तारीफ की, यह बताते हुए कि उन्होंने काबुल एयरपोर्ट हमले के मास्टरमाइंड शरीफुल्लाह को अमेरिका को सौंपने की पहल की थी.

    कुरिल्ला ने दावा किया कि 2024 की शुरुआत से अब तक पाकिस्तान में 1,000 से अधिक आतंकी हमले हो चुके हैं, जिनमें 700 सुरक्षाकर्मी और 2,500 से ज्यादा नागरिक मारे गए. इसके बावजूद पाकिस्तान ने ISIS-K के कई शीर्ष आतंकियों को ढूंढ़कर खत्म किया और दर्जनों को गिरफ्तार किया. उन्होंने यह भी जोड़ा कि अमेरिका भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ अपने रिश्ते बनाए रखना चाहता है और इसे किसी एक विकल्प तक सीमित नहीं किया जा सकता.

    अमेरिका का यह रवैया भारत की चिंताओं को अनदेखा करने जैसा

    भारत के लिए ये दावे पचाना आसान नहीं है. जब भारत आतंकवाद से लड़ाई में पाकिस्तान की भूमिका पर बार-बार सवाल उठा चुका है, तब अमेरिका का यह रवैया भारत की चिंताओं को अनदेखा करने जैसा लगता है. 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ दबाव बढ़ाया. इस हमले की जिम्मेदारी जिन संगठनों पर है—जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद—उनका सीधा कनेक्शन पाकिस्तान की सेना और ISI से जुड़ा माना जाता है.

    जनरल कुरिल्ला ने न्यूयॉर्क में एक यहूदी केंद्र पर हमले की साजिश रचने वाले एक और पाकिस्तानी को अमेरिका को सौंपने की बात भी साझा की, लेकिन भारत के मामले में पाकिस्तान का रुख हमेशा से टालने वाला ही रहा है. दाऊद इब्राहिम, हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे बड़े नाम अब भी पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैं और भारत की बार-बार की गई मांगों के बावजूद उन्हें सौंपने से पाकिस्तान इनकार करता आ रहा है.

    असीम मुनीर की तारीफ करना भी भारत के लिए चुभने वाली बात है. 2019 के पुलवामा हमले के समय मुनीर ISI के प्रमुख थे और हाल ही में उन्होंने ऐसा बयान दिया जिससे पहलगाम हमला हुआ—जो सीधा आतंकी संगठनों को "हरकत में आने" का संकेत माना गया. अमेरिका की यह रणनीति शायद कूटनीतिक हो, लेकिन भारत के लिए यह एक स्पष्ट संकेत है कि अपने हितों की लड़ाई में उसे केवल अपने कंधे पर ही भरोसा करना होगा.

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