अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर की चिंगारी बुझने का नाम नहीं ले रही, तभी बीजिंग ने एक और मोर्चा खोल दिया—इस बार सीधा अपने पुराने ‘प्रतिद्वंद्वी’ जापान के दरवाज़े पर. लेकिन ये कोई आर्थिक हमला नहीं था, यह था एक ऐसा सैन्य प्रदर्शन, जिसकी गूंज पूरे प्रशांत महासागर में सुनाई दी.
जापान के रक्षा मंत्रालय ने दुनिया को चौंकाते हुए खुलासा किया है कि चीन ने पहली बार अपने दो विशाल विमानवाहक पोतों—लियाओनिंग और शानडोंग—को प्रशांत महासागर में एक साथ उतारा है. यह न केवल एक शक्तिप्रदर्शन है, बल्कि बीजिंग का यह संकेत भी है कि वह अब ब्लू वॉटर नेवी बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है—यानी अब चीन सिर्फ अपनी सीमाओं तक सीमित नहीं रहना चाहता.
मियाको के पास, ड्रैगन ने खोला अपना पंख
यह सैन्य अभ्यास जापान के मियाको द्वीप से 550 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में और ओकिनोटोरी अटोल के आस-पास जापानी समुद्री क्षेत्र में हुआ. दोनों विमानवाहक पोतों के साथ थे मिसाइल विध्वंसक, युद्धपोत, लड़ाकू जेट्स और हेलीकॉप्टर्स, जिनका अभ्यास किसी जंगी युद्ध की तरह हुआ. यह पहली बार है जब चीन ने दो कैरियर एक साथ समुद्र में तैनात किए हैं—एक साफ संकेत कि अब चीन केवल बातों से नहीं, रणनीति से भी विश्व शक्ति बनने चला है.
जापान की नींद क्यों उड़ी?
जापान के रक्षा मंत्री जनरल नकातानी की आंखों में चिंता साफ दिखी. उन्होंने खुलकर कहा कि चीन अब अपनी सैन्य ताकत को सीमाओं से बहुत दूर तक फैलाना चाहता है. जवाब में, जापान अब अपने एयर डिफेंस को मजबूत कर रहा है और चीन की हर हलचल पर बारीकी से नजर रख रहा है. लेकिन असली सवाल है: बीजिंग का मकसद क्या है?
ड्रैगन की गहराती चालें: केवल प्रदर्शन नहीं, घोषणा है
इस कदम का मतलब सिर्फ अभ्यास नहीं है. यह एक खुला एलान है—"हम अब तैयार हैं तुम्हारे मैदान में उतरने के लिए."
विशेषज्ञों का कहना है कि यह चीन की ब्लू वॉटर नेवी की ओर बढ़ने का पहला पुख्ता कदम है. वह अब केवल तटीय सुरक्षा नहीं, दूर-दराज के समुद्री इलाकों पर पकड़ जमाना चाहता है. यह अभ्यास, जापान और उसके अभिन्न सहयोगी अमेरिका को स्पष्ट संदेश है—"अब पश्चिमी प्रशांत सिर्फ तुम्हारा नहीं रहा."
ताइवान के बहाने क्षेत्रीय दबदबे की भूख
यह सैन्य प्रदर्शन दक्षिण चीन सागर और ताइवान को लेकर पहले से ही उबल रहे तनाव की आंच को और भड़का सकता है. जापान और अमेरिका के रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन का असली मकसद अमेरिका की "फर्स्ट आइलैंड चेन" में मौजूदगी को घटाना और "सेकंड आइलैंड चेन" में खुद का प्रभुत्व स्थापित करना है.
बता दें कि इस अभ्यास के दौरान लियाओनिंग ने सेकंड आइलैंड चेन को पार किया—यानी बीजिंग अब गुआम जैसे अमेरिकी सैन्य ठिकानों के सामने खुलकर चुनौती देने को तैयार है.
तकनीकी शक्ति और रणनीति का खतरनाक संगम
एकसाथ दो विमानवाहक पोतों का अभ्यास करना कोई आसान काम नहीं. यह रणनीतिक, तकनीकी और लॉजिस्टिक रूप से बेहद जटिल ऑपरेशन होता है. इसका अर्थ यह भी है कि चीन अब अपने नौसैनिक बेड़े को और अधिक समन्वित, शक्तिशाली और युद्ध के लिए तैयार बना रहा है.
वॉशिंगटन की दीवारें भी थर्राईं
बीजिंग की इस चाल से न केवल जापान बल्कि वॉशिंगटन में भी हलचल मच गई है. अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने चेतावनी दी है कि चीन ताइवान पर सैन्य कब्ज़े की तैयारी कर रहा है और यह अभ्यास उसी दिशा में एक कदम हो सकता है. यह घटना एक ऐसे समय आई है जब इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पहले से ही अस्थिर है और चीन की हर हलचल को एक संभावित संकट की तरह देखा जा रहा है.
ताइवान भी सतर्क, चीन की हरकतों पर पैनी नजर
ताइवान पहले ही चीन की हर गतिविधि पर निगरानी बनाए हुए है. अप्रैल में ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने शानडोंग को अपने तट के करीब देखा था. यह दिखाता है कि चीन अपनी सैन्य मौजूदगी ताइवान स्ट्रेट और दक्षिण चीन सागर में लगातार बढ़ा रहा है.
चीन के पास है दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना
आज चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है. हाल ही में उसने अपना तीसरा विमानवाहक पोत फुजियान लॉन्च किया है और चौथे पोत का निर्माण जारी है. यह विकास दर बताती है कि चीन आने वाले वर्षों में पूर्ण समुद्री महाशक्ति बनने की दिशा में अब कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता.
अगला कदम क्या होगा?
चीन की यह सैन्य हलचल सिर्फ एक अभ्यास नहीं है—यह एक पूर्वाभ्यास है उस समय के लिए जब बीजिंग सच में अपनी ‘वन चाइना पॉलिसी’ को सैन्य बल से लागू करने का फैसला करेगा. अगर जापान और अमेरिका ने इस संकेत को नज़रअंदाज़ किया, तो अगली बार चीन सिर्फ अभ्यास नहीं, कार्रवाई करेगा.
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