पाकिस्तान का प्यारा हुआ अमेरिका? मुनीर, डार-शहबाज...ट्रंप दरबार में सबकी हाजिरी लगाकर आतंकवाद पर थपथपा रहे पीठ

    अमेरिका और पाकिस्तान के बीच रिश्ते हमेशा से जटिल रहे हैं, और हाल के दिनों में यह और भी पेचीदा हो गए हैं. जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ पहलगाम आतंकी हमले का ठोस सबूत पेश किया और ऑपरेशन सिंदूर डेलिगेशन के तहत यह साबित किया कि पाकिस्तान ही इस हमले का जिम्मेदार था.

    america meet with ishaq dar shahbaz and asim munir after operation sindoor
    पाकिस्तान का प्यारा हुआ अमेरिका?

    अमेरिका और पाकिस्तान के बीच रिश्ते हमेशा से जटिल रहे हैं, और हाल के दिनों में यह और भी पेचीदा हो गए हैं. जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ पहलगाम आतंकी हमले का ठोस सबूत पेश किया और ऑपरेशन सिंदूर डेलिगेशन के तहत यह साबित किया कि पाकिस्तान ही इस हमले का जिम्मेदार था, तो अमेरिका ने कुछ कदम उठाए. इसने लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटे 'द रेजिस्टेंस फोर्स' को आतंकवादी संगठन के रूप में बैन किया.

    लेकिन यह बैन किसी सच्ची कार्रवाई की तरह नहीं, बल्कि एक दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं था. अमेरिका ने पाकिस्तान का नाम तक नहीं लिया और कुछ समय बाद पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उसका सहयोगी बताते हुए उसकी पीठ थपथपाई. अब सवाल यह है कि अमेरिका पाकिस्तान के प्रति इतना नरम क्यों है, जबकि पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ है.

    पाकिस्तान का आतंकवाद से गहरा रिश्ता


    इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को पनाह दी है. अमेरिका ने खुद ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में ही ढूंढा था. वहीं, हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकवादी पाकिस्तान की धरती पर सुरक्षित हैं. पाकिस्तान की नीतियों और उसकी जमीन से उभरे इन आतंकवादियों को लेकर अमेरिका ने कई बार संज्ञान लिया है, फिर भी वह पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने में 'सहयोग' का प्रमाणपत्र दे रहा है. यह उस समय हो रहा है जब 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों ने हमला किया और 26 निर्दोष नागरिकों की जान ले ली थी.

    अमेरिकी नेतृत्व में पाकिस्तान की बढ़ती अहमियत


    हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार से मुलाकात की. यह मुलाकात अमेरिका-पाकिस्तान द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में एक और कदम मानी जा रही है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी प्रयासों की सराहना की और दोनों देशों के बीच व्यापार और खनिज क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की बात की. यह सब तब हो रहा है जब पाकिस्तान का नाम आतंकवाद से जुड़े मामलों में बार-बार सामने आता है.

    पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते: क्या सच में कोई रणनीति है?


    इशाक डार से पहले पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने भी अमेरिका का दौरा किया था, और इन दौरों के साथ-साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का भी अमेरिका जाने की संभावना है. इन सब दौरे के बीच, एक बड़ा सवाल उठता है: आखिर अमेरिका पाकिस्तान के नेताओं को इतना महत्व क्यों दे रहा है? क्या ट्रंप की रणनीति या कुछ और है?

    अमेरिका का पाकिस्तान के प्रति 'प्यार' क्यों?


    अमेरिका का पाकिस्तान के प्रति यह प्यार, खासकर चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए समझा जा सकता है. पाकिस्तान और चीन के बीच सशक्त दोस्ती है, और चीन पाकिस्तान को हर संभव सहायता प्रदान करता है. अमेरिका, जो अब चीन को अपनी रणनीतिक चुनौती मानता है, पाकिस्तान को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रहा है. अमेरिका का यह कदम, पाकिस्तान को अपने खेमे में लाकर चीन के बढ़ते प्रभाव को सीमित करने के लिए हो सकता है. भारत, जो किसी भी विदेशी दबाव के तहत अपने निर्णय नहीं बदलता, अमेरिका को अब पाकिस्तान को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में लगा हुआ दिखता है. अगर अमेरिका पाकिस्तान को अपने साथ लाने में सफल होता है, तो यह उसकी चीन नीति के लिए एक बड़ा कदम होगा.

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