धमकाने की नीति का कोई विजेता नहीं होता, अमेरिका के साथ डील पर शी जिनपिंग का बयान

    America China Trade War: दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं  अमेरिका और चीन  के बीच लंबे समय से जारी व्यापार युद्ध (Trade War) अब नरमी की ओर बढ़ता दिख रहा है. दोनों देशों ने एक अहम निर्णय लेते हुए एक-दूसरे के उत्पादों पर लगाए गए टैरिफ को अस्थायी रूप से कम करने का ऐलान किया है.

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    America China Trade War: दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं  अमेरिका और चीन  के बीच लंबे समय से जारी व्यापार युद्ध (Trade War) अब नरमी की ओर बढ़ता दिख रहा है. दोनों देशों ने एक अहम निर्णय लेते हुए एक-दूसरे के उत्पादों पर लगाए गए टैरिफ को अस्थायी रूप से कम करने का ऐलान किया है. इस बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पहली बार इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया दी है और अमेरिका की "धमकाने वाली नीति" की खुलकर आलोचना की है.

    टैरिफ में 115% तक की कटौती, 90 दिनों के लिए अस्थायी राहत

    जेनेवा में बीते शनिवार से चल रही बहुपक्षीय बैठकों के बाद अमेरिका और चीन ने टैरिफ में 115% तक की कटौती पर सहमति जताई है. अब अमेरिका, चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर 30% टैरिफ लगाएगा. जबकि चीन ने अमेरिका से आने वाले सामानों पर 10% टैरिफ लागू करने का फैसला किया है. यह समझौता अस्थायी रूप से 90 दिनों के लिए लागू किया गया है, ताकि इस दौरान दोनों देश दीर्घकालिक समाधान की दिशा में काम कर सकें. गौरतलब है कि पहले अमेरिका ने चीनी उत्पादों पर 145% टैरिफ लगाया था, जिसके जवाब में चीन ने 125% तक का प्रतिशोधी शुल्क लगा दिया था.

     “धमकाने की नीति का कोई स्थान नहीं”


    चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों के एक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए अमेरिका की नीतियों पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि “टैरिफ युद्धों में कोई विजेता नहीं होता. धमकाने या आधिपत्य की नीति सिर्फ उस देश को अलग-थलग करती है जो इसे अपनाता है.” शी का यह बयान उस समय आया है जब अमेरिका और चीन के बीच समझौते की शुरुआत हुई है, लेकिन दोनों देशों में आपसी अविश्वास अब भी बरकरार है.

    बाजारों पर असर और आगे की राह

    इस निर्णय के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सकारात्मक हलचल देखी जा रही है. निवेशकों को उम्मीद है कि यह टकराव अब शांत होगा और वैश्विक सप्लाई चेन को राहत मिलेगी. हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सिर्फ एक अस्थायी विराम है. यदि दोनों देश आगे स्थायी समाधान की ओर नहीं बढ़ते, तो यह युद्ध फिर से भड़क सकता है.