S Jaishankar News: कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को लेकर कड़ा संदेश दिया. उन्होंने कहा कि आज विश्व राजनीति ऐसे दौर से गुजर रही है, जहां अमेरिका और चीन, दोनों महाशक्तियां पुराने नियमों को तोड़कर अपने तरीके से खेल रही हैं. ऐसे माहौल में भारत चुप बैठने वालों में शामिल नहीं है; बल्कि वह अपनी रणनीतिक ताकत को बढ़ाकर वैश्विक मंच पर अधिक निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार है.
जयशंकर ने बताया कि अमेरिका, जो वर्षों से अंतरराष्ट्रीय ढांचे का मुख्य आधार रहा है, अब अपने रवैये में बड़ा बदलाव ला रहा है. पहले वह समूहों के साथ नीतिगत बातचीत करता था, लेकिन अब वह एक-एक देश के साथ द्विपक्षीय स्तर पर सौदे कर रहा है. दूसरी तरफ चीन अपनी अर्थव्यवस्था और शक्ति के दम पर ऐसे नियम बना रहा है, जिनका पालन वह अन्य देशों से भी करवाना चाहता है.
My acceptance remarks on conferment of Honorary Doctorate by @IIM_Calcutta.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) November 29, 2025
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अमेरिका की नई रणनीति और चीन की आक्रामक नीति
उन्होंने कहा कि इन दोनों शक्तियों के दृष्टिकोण ने पूरी दुनिया में अनिश्चितता का माहौल बना दिया है. ग्लोबलाइजेशन, जो कभी दुनिया को जोड़ने का माध्यम माना जाता था, अब दबाव में है. सप्लाई चेन स्थिर रहेंगी या नहीं, इस पर हर देश चिंतित है.
देश अब सुरक्षा के लिहाज से नए रास्ते खोज रहे हैं. वे अमेरिका और चीन दोनों के साथ हितों के आधार पर सौदे कर रहे हैं और कई क्षेत्रीय व्यापार समझौतों का चलन इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि देश जोखिम बांटकर आगे बढ़ना चाहते हैं.
आत्मनिर्भरता और शक्ति निर्माण
विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत किसी भी दबाव में न झुकने की नीति पर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि आज देश ऐसी नीतियां अपना रहा है जो राष्ट्रीय शक्ति को मजबूत करें और भारत के प्रभाव को बढ़ाएं. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि 2014 से पहले नीतियों में उतनी दूरदर्शिता नहीं थी. आर्थिक और औद्योगिक विकास को रणनीतिक दृष्टि से नहीं देखा जाता था.
लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है. भारत तेज आर्थिक वृद्धि कर रहा है, नई वैश्विक जिम्मेदारियाँ संभालने के लिए सक्षम हो रहा है, और एक मजबूत औद्योगिक आधार बनाने पर जोर दे रहा है. जयशंकर के मुताबिक, किसी भी उभरते शक्ति केंद्र के पास मजबूत उत्पादन क्षमता का होना अनिवार्य है. भारत भी इसी दिशा में अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है.
केवल नारा नहीं, नई सोच की शुरुआत
विदेश मंत्री ने "मेक इन इंडिया" को सिर्फ एक सरकारी अभियान नहीं, बल्कि एक नई मानसिकता बताया. उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में भारत ने घरेलू उत्पादन, डिजाइन, इनोवेशन और रिसर्च पर विशेष ध्यान दिया है. उन्होंने देश की उद्योग जगत से भी अपील की कि वे छोटी अवधि के मुनाफे पर ध्यान न देकर लंबी अवधि की सोच अपनाएं.
भारत तभी आत्मनिर्भर बनेगा जब घरेलू सप्लाई चेन मजबूत होंगी और भारतीय कंपनियां वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार होंगी. जयशंकर के अनुसार, भारत को अनुसंधान और विकास में भी आत्मनिर्भर होना होगा. केवल असेंबलिंग से आगे बढ़कर डिजाइन, निर्माण नवाचार का पूरा ढांचा देश में खड़ा करना होगा.
चीन की बढ़ती पकड़ और सप्लाई चेन का जोखिम
चीन पर बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि दुनिया का लगभग एक-तिहाई उत्पादन आज भी चीन में केंद्रित है. इतनी अधिक निर्भरता किसी भी देश के लिए दीर्घकालिक खतरा पैदा करती है. उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन, युद्ध और वैश्विक संघर्षों के कारण सप्लाई चेन पहले से ज्यादा अस्थिर हो गई हैं.
ऊर्जा के क्षेत्र में अमेरिका बड़ा निर्यातक बन चुका है, जबकि नवीकरणीय ऊर्जा तकनीकों में चीन की लगभग एकाधिकार स्थिति है. यही वजह है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को मांग और आपूर्ति दोनों तरफ से जोखिम का सामना करना पड़ रहा है. फाइनेंस की दुनिया भी तेजी से बदल रही है, ब्लॉकचेन तकनीक, आर्थिक प्रतिबंध, टैरिफ और व्यापारिक शुल्क जैसे कारकों ने global trade को पहले से अधिक जटिल बना दिया है.
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