अमेरिका और भारत के रिश्तों में हाल के दिनों में खटास बढ़ती नजर आ रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर कड़ा रुख अपनाते हुए आयात शुल्क को दोगुना कर दिया है. वहीं, इसी बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से हुई मुलाकात ने अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक हलकों में हलचल तेज कर दी है. वॉशिंगटन पहले से ही भारत-रूस की बढ़ती नजदीकियों को लेकर असहज है, और यह बैठक उसके लिए नई चुनौती बनकर उभरी है.
गुरुवार (7 अगस्त) को अजीत डोभाल रूस की राजधानी मॉस्को में क्रेमलिन पहुंचे, जहां राष्ट्रपति पुतिन ने उनका बेहद गर्मजोशी से स्वागत किया. जैसे ही डोभाल पहुंचे, पुतिन मुस्कुराते हुए तेजी से आगे बढ़े और हाथ मिलाकर अपनी खुशी जाहिर की. दोनों नेताओं की यह मुलाकात महज औपचारिकता नहीं थी, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से अहम मानी जा रही है. यह ऐसे समय पर हुई है, जब अमेरिका भारत के रूस से तेल आयात को लेकर खुली नाराजगी जाहिर कर चुका है.
ट्रंप की नाराजगी की असली वजह
ट्रंप ने हाल ही में भारत पर आरोप लगाया कि वह रूस से सस्ती दर पर कच्चा तेल खरीदकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंचे दामों पर बेच रहा है. अमेरिकी पक्ष का मानना है कि इससे रूस को अतिरिक्त आर्थिक सहारा मिल रहा है, जो अंततः यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल हो सकता है. यही नहीं, ट्रंप प्रशासन को यह भी चिंता है कि भारत-रूस की ऊर्जा साझेदारी उसके भू-राजनीतिक प्रभाव को चुनौती दे सकती है.
टैरिफ का दोहरा झटका
अमेरिका ने पहले भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था, लेकिन हालिया फैसले के बाद यह दर 50 प्रतिशत तक बढ़ा दी गई है. यह कदम सीधा-सीधा भारत को आर्थिक दबाव में लाने की रणनीति माना जा रहा है. इसके पीछे एक और कारण यह भी बताया जा रहा है कि अमेरिका भारत के साथ कृषि और डेयरी क्षेत्र में व्यापारिक समझौता चाहता है, मगर भारत अपने घरेलू बाजार की सुरक्षा के चलते इस पर सहमत नहीं है.
बदलते समीकरण और कूटनीतिक संदेश
डोभाल-पुतिन मुलाकात न केवल भारत और रूस के रिश्तों को मजबूती देती है, बल्कि यह भी संदेश देती है कि भारत अपने रणनीतिक हितों को लेकर स्वतंत्र रुख अपनाएगा. अमेरिका के साथ तनाव और रूस के साथ बढ़ती निकटता यह संकेत देती है कि आने वाले समय में वैश्विक शक्ति-संतुलन के समीकरण और जटिल हो सकते हैं.
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