Afghanistan Ties With India: अफगान तालिबान के वरिष्ठ प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने भारत के साथ संबंधों को नए सिरे से मजबूत करने की इच्छा जाहिर की है. उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार और भारत के बीच राजनयिक बातचीत एक बार फिर से सक्रिय हो रही है. भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के बीच हाल ही में दिल्ली में मुलाकात हुई, जिसे दोनों देशों के बीच रिश्तों में एक नई शुरुआत माना जा रहा है.
इस बीच, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संबंधों में एक बार फिर तनाव देखने को मिला है. पाकिस्तान की वायु सेना ने हाल ही में अफगान राजधानी काबुल में हवाई हमले किए हैं, जिनका निशाना तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के ठिकाने बताए जा रहे हैं. इन घटनाओं ने क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर नई चिंताएं खड़ी कर दी हैं.
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों की बात दोहराई
एक विशेष बातचीत में तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि अफगानिस्तान और भारत के लोगों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्ते लंबे समय से मौजूद रहे हैं. उन्होंने कहा कि सदियों पुराने इन संबंधों को फिर से जीवंत करना समय की मांग है. उनके मुताबिक, आमिर खान मुत्तकी की भारत यात्रा इन संबंधों को फिर से सक्रिय करने की दिशा में एक शुरुआती कदम है. शाहीन को उम्मीद है कि यह यात्रा भारत और अफगानिस्तान के बीच राजनीतिक और आर्थिक सहयोग के एक नए युग की शुरुआत करेगी.
सुरक्षा, व्यापार और संपर्क को लेकर साझा हित
शाहीन ने यह भी बताया कि भारत और अफगानिस्तान के बीच कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां दोनों देश सहयोग बढ़ा सकते हैं. विशेष रूप से उन्होंने सुरक्षा, व्यापार और क्षेत्रीय संपर्क को लेकर सहयोग की संभावना को रेखांकित किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत द्वारा अफगानिस्तान में शुरू की गई कई विकास परियोजनाएं, जो हाल के वर्षों में ठप पड़ी हैं, उन्हें फिर से सक्रिय करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इन अधूरी परियोजनाओं का पुनः आरंभ दोनों देशों के हित में होगा.
भारत को सुरक्षा का भरोसा
तालिबान शासन को लेकर भारत की सबसे बड़ी चिंता उसके नागरिकों, राजनयिकों और भारतीय परियोजनाओं की सुरक्षा है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शाहीन ने स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान में कार्यरत सभी भारतीयों, राजनयिकों और निवेशों को सुरक्षा प्रदान करना तालिबान सरकार की जिम्मेदारी होगी. उन्होंने आश्वासन दिया कि काबुल और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में सुरक्षा की स्थिति पहले से कहीं बेहतर है, और भारत को इस दिशा में चिंतित होने की जरूरत नहीं है.
उनके अनुसार, यदि भारत अपने राजनयिकों या परियोजनाओं को फिर से सक्रिय करना चाहता है, तो तालिबान प्रशासन पूरी तरह से सहयोग करने के लिए तैयार है और पूरी सुरक्षा की गारंटी देगा.
भारत-अफगान संपर्क के वैकल्पिक मार्गों की तलाश
तालिबान के प्रवक्ता ने यह भी स्वीकार किया कि भारत और अफगानिस्तान के बीच सीधा ज़मीनी संपर्क पाकिस्तान की अनुमति के बिना संभव नहीं है. पाकिस्तान द्वारा बार-बार व्यापारिक ट्रांजिट में अड़चनें डालने से भारत के लिए अफगानिस्तान तक पहुंचना एक चुनौती बनता जा रहा है. इसके अलावा, ईरान के चाबहार बंदरगाह पर अमेरिकी प्रतिबंधों ने इस वैकल्पिक मार्ग को भी मुश्किल बना दिया है.
शाहीन ने इस मुद्दे पर व्यावहारिक समाधान निकालने की इच्छा जताई. उन्होंने कहा कि अगर भारत संबंधों को फिर से बहाल करता है, तो दोनों देश नए संपर्क मार्गों की तलाश करेंगे. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि तालिबान शासन भारत के साथ काम करके संपर्क के वैकल्पिक रास्तों की संभावनाएं तलाशने को तैयार है, जिससे व्यापार और मानवीय सहायता निर्बाध रूप से जारी रह सके.
काबुल में पाकिस्तानी हमले ने बढ़ाया तनाव
तालिबान के भारत को लेकर नरम रुख के बीच एक और बड़ा घटनाक्रम सामने आया, जिसने क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है. गुरुवार रात पाकिस्तान की वायु सेना ने काबुल और अन्य क्षेत्रों में हवाई हमले किए, जिनका निशाना तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकाने थे. पाकिस्तानी मीडिया में दावा किया गया कि इस कार्रवाई में टीटीपी प्रमुख मुफ्ती नूर वली मेहसूद मारा गया है.
हालांकि, तालिबान सरकार ने पाकिस्तानी दावे को खारिज करते हुए कहा कि विस्फोट में किसी के हताहत होने की पुष्टि नहीं हुई है. तालिबान प्रशासन ने इन हमलों की कड़ी निंदा की है और इसे अफगान संप्रभुता का उल्लंघन बताया है. इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच पहले से तनावपूर्ण संबंधों में और गिरावट देखी जा रही है.
भारत के लिए यह क्या संकेत देता है?
तालिबान की ओर से भारत के साथ सकारात्मक संबंधों की पहल एक संकेत है कि अफगानिस्तान नई दिल्ली को अपने विकास और स्थायित्व के लिए एक आवश्यक भागीदार मानता है. हालांकि भारत अभी तक तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं देता, लेकिन इस तरह की बातचीत से संकेत मिलते हैं कि राजनयिक स्तर पर संवाद को पूरी तरह बंद नहीं किया गया है.
भारत के लिए अफगानिस्तान एक सामरिक रूप से महत्वपूर्ण देश है, खासकर मध्य एशिया और पश्चिम एशिया तक संपर्क के लिहाज से. यदि भारत को अफगानिस्तान में दोबारा अपनी उपस्थिति बनानी है, तो सुरक्षा, संपर्क और स्थायित्व तीनों पर गहन बातचीत की आवश्यकता होगी.
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