Karnataka News: कहते हैं, दान देने के लिए दौलतमंद होना ज़रूरी नहीं, बल्कि दिल से बड़ा होना चाहिए. कर्नाटक के रायचूर जिले की एक 60 साल की महिला रंगम्मा ने इस कहावत को हकीकत बना दिया है. जो खुद भी भीख मांगकर अपना पेट पालती थीं, लेकिन जब बात भक्ति और सेवा की आई, तो उन्होंने अपनी ज़िंदगी की कमाई मंदिर को समर्पित कर दी.
1.83 लाख का दान
रंगम्मा ने लगभग 6 सालों तक भीख मांगकर जो पैसे जोड़े थे, वह किसी खजाने से कम नहीं थे. उन्होंने ये रकम रायचूर के बिज्जनगेरा तालुका स्थित अंजनेया मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए दान में दे दी. ये रकम कोई मामूली नहीं, बल्कि ₹1.83 लाख थी – जिसे उन्होंने तीन बोरियों में संभाल कर रखा था. जब इन पैसों की गिनती शुरू हुई, तो 20 लोगों को पूरे 6 घंटे लग गए.
भीख से जीवन, लेकिन दिल से दानी
रंगम्मा करीब 40 साल पहले आंध्र प्रदेश से बिज्जनगेरा गांव आई थीं. तब से अब तक वह भीख मांगकर जीवन यापन कर रही थीं. गांववालों ने बताया कि वह न कभी किसी से झगड़ती थीं, न किसी से ज्यादा मांगती थीं. उनके इस अद्भुत त्याग ने पूरे गांव को हैरान कर दिया.
पहले भी कर चुकी हैं सेवा का काम
ये पहला मौका नहीं है जब रंगम्मा ने दूसरों के लिए त्याग किया हो. कुछ साल पहले उन्होंने भीख के ₹1 लाख से एक छोटा घर बनवाया, ताकि सिर पर छत हो. अब जब मंदिर के पुनर्निर्माण की बात आई, तो उन्होंने वह सबकुछ खुशी-खुशी समर्पित कर दिया जो उन्होंने बचाकर रखा था.
गांववालों की आंखों में आंसू
जब गांववालों ने उनके बक्सों में रखी नकदी देखी और पूछा, तो उन्होंने खुद कहा कि वह इसे मंदिर के लिए दान देना चाहती हैं. आज रंगम्मा त्याग और भक्ति की प्रतीक बन गई हैं. उनका यह कार्य यह दिखाता है कि असली अमीरी दिल में होती है, जेब में नहीं.
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