'सिंधु जल समझौता स्थगित होने से देश में...' जंग में पिटने के बाद भारत के सामने गिड़गिड़ाया पाकिस्तान

    अप्रैल में हुए पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाब में भारत द्वारा किए गए निर्णायक सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव एक नए स्तर पर पहुंच गया है.

    After getting defeated in the war Pakistan pleaded before India
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    इस्लामाबाद: अप्रैल में हुए पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाब में भारत द्वारा किए गए निर्णायक सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव एक नए स्तर पर पहुंच गया है. जहां एक ओर भारत ने स्पष्ट किया है कि अब वह आतंक और बातचीत को एक साथ नहीं चलने देगा, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान अब सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को लेकर भारत के दरवाजे पर पहुंचा है.

    भारत की तरफ से संधि को स्थगित किए जाने के बाद, पाकिस्तान की सरकार ने 14 मई 2025 को औपचारिक रूप से भारत को एक चिट्ठी लिखकर अनुरोध किया है कि वह इस फैसले पर पुनर्विचार करे. यह चिट्ठी जल संसाधन मंत्रालय को पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने भेजी है.

    पाकिस्तान ने चिट्ठी में क्या लिखा?

    पाकिस्तान की चिट्ठी में कहा गया है कि, "सिंधु जल संधि के स्थगन का सीधा असर पाकिस्तान की कृषि प्रणाली पर पड़ा है. आने वाले हफ्तों में खरीफ की फसलें पूरी तरह से प्रभावित हो सकती हैं. यह संकट केवल एक जल संकट नहीं, बल्कि खाद्य सुरक्षा से जुड़ा संकट है."

    पाकिस्तानी सरकार ने भारत से अपील की है कि वह इस संधि को फिर से शुरू करने के निर्णय पर संवेदनशीलता और परिपक्वता के साथ विचार करे.

    भारत की चुप्पी: लेकिन संकेत साफ हैं

    हालांकि भारत सरकार की ओर से इस चिट्ठी पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में राष्ट्र के नाम संदेश में कहा, "खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते",

    यह साफ संकेत है कि भारत अब हर समझौते, हर सहयोग को आतंकवाद-मुक्त आचरण से जोड़ेगा. प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया था कि सैन्य कार्रवाई केवल "स्थगित" हुई है, पूर्ण विराम नहीं दिया गया है.

    विदेश मंत्री इशाक डार के खोखले तेवर

    पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा, "अगर भारत हमारी ओर आने वाले पानी को मोड़ने की कोशिश करता है, तो दोनों देशों के बीच जो युद्धविराम है, वह खतरे में पड़ सकता है."

    हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान राजनीतिक दबाव में दिया गया "डिप्लोमैटिक थियेटर" है, क्योंकि वर्तमान हालात में पाकिस्तान किसी भी प्रकार की सैन्य मुठभेड़ की स्थिति में नहीं है—विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर के बाद उसकी सामरिक स्थिति कमजोर हुई है.

    क्यों रोकी गई सिंधु जल संधि?

    22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक भयावह आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे. इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन ने ली थी. इसके बाद, प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की आपात बैठक हुई, जिसमें कई बड़े निर्णय लिए गए:

    • सिंधु जल समझौते को अस्थायी रूप से स्थगित करना
    • पाकिस्तान के लिए सभी प्रकार के वीज़ा पर रोक
    • वाघा-अटारी बॉर्डर को अस्थायी रूप से बंद करना
    • इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में स्टाफ कटौती
    • पाकिस्तान हाई कमीशन को फिलहाल खाली करने का निर्देश

    क्या है सिंधु जल संधि?

    1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को दक्षिण एशिया के सबसे सफल जल बंटवारे के समझौतों में गिना जाता है. इसके तहत भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) पर पूर्ण अधिकार मिला, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) से अधिकतर पानी इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया.

    अब तक भारत ने इस संधि का पूरी तरह पालन किया है, यहां तक कि दो युद्धों और कई बड़े आतंकी हमलों के बाद भी. लेकिन पहली बार सुरक्षा और आतंकवाद को इस संधि से जोड़ते हुए भारत ने इसके स्थगन का फैसला लिया है.

    अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

    अमेरिका, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन जैसे कई देशों ने भारत की आतंक के खिलाफ कार्रवाई को स्वरचित रक्षा अधिकार के तहत उचित ठहराया है. वहीं जल संधि पर भारत के निर्णय को लेकर अभी तक कोई बड़ा अंतरराष्ट्रीय दबाव नहीं देखा गया है.

    जलवायु और सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने कोई स्थायी निषेध नहीं लगाया है, बल्कि 'नया मानक' स्थापित किया है—कि आतंकवाद को किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं दी जाएगी, चाहे वह कूटनीतिक हो या जल संसाधनों से जुड़ी हो.

    कृषि, जनजीवन और राजनीतिक दबाव

    पाकिस्तान की लगभग 80% कृषि पश्चिमी नदियों के जल पर निर्भर है. यदि भारत जल प्रवाह को अस्थायी रूप से भी नियंत्रित करता है, तो यह पाकिस्तान के लिए एक आर्थिक और राजनीतिक संकट बन सकता है.

    इस समय पाकिस्तान आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और आतंरिक असंतोष से पहले ही जूझ रहा है. सिंधु जल संधि के स्थगन से उसकी कृषि अर्थव्यवस्था को झटका लग सकता है—और इसके दूरगामी प्रभाव देश के आंतरिक हालात पर पड़ सकते हैं.

    शक्ति और संयम का संतुलन

    भारत की नीति अब "रणनीतिक संयम के साथ स्पष्ट संदेश" देने की हो चली है. भारत ने न केवल आतंकी ठिकानों को तबाह किया, बल्कि अब कूटनीतिक और संसाधन स्तर पर भी दबाव बनाना शुरू किया है.

    भारत यह साफ कर चुका है कि अब कोई भी संधि या सहयोग 'बिना शर्त' नहीं होगा. पाकिस्तान को यह दिखाना होगा कि वह आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने को तैयार है—तभी बातचीत और सहयोग के दरवाजे खुल सकते हैं.

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