वॉशिंगटन: वैश्विक रक्षा मामलों के विशेषज्ञ और मॉडर्न वॉर इंस्टीट्यूट के चेयरमैन जॉन स्पेंसर का मानना है कि भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से आतंकवाद और सीमा पार हिंसा के विरुद्ध एक बिल्कुल नई और निर्णायक सैन्य नीति की नींव रख दी है. यह चार दिवसीय सैन्य अभियान न तो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) पर कब्जे के उद्देश्य से शुरू किया गया था, और न ही किसी शासन परिवर्तन की महत्वाकांक्षा इसके पीछे थी. इसके पीछे उद्देश्य था—एक सटीक, प्रभावी और नीतिगत संदेश देना: अब हर आतंकी हमले की कीमत दुश्मन को चुकानी होगी.
रणनीतिक सोच, योजनाबद्ध जवाब
स्पेंसर ने कहा, "भारत ने इस बार पारंपरिक कूटनीतिक ढर्रे से हटकर सोचा. न कोई पूर्व चेतावनी, न कोई अंतरराष्ट्रीय मंच की शरण—बल्कि सीधे सटीक कार्रवाई."
उनके मुताबिक भारत ने दिखा दिया कि वह अब आतंकवाद के खिलाफ किसी भी स्तर पर एकतरफा, पूर्ण और तीव्र सैन्य प्रतिक्रिया देने में सक्षम है.
यह युद्ध नहीं, लेकिन युद्ध से कम भी नहीं
स्पेंसर ने कहा, “यह पारंपरिक युद्ध जैसा नहीं था, यह था एक नीति-आधारित सैन्य हस्तक्षेप—जहाँ स्पष्ट उद्देश्य तय थे और समयसीमा सीमित थी. यह वही स्पष्टता है जो आज के दौर में दुर्लभ होती जा रही है.”
इस कार्रवाई ने यह भी दर्शाया कि भारत अब परमाणु हथियारों की धमकी से भयभीत नहीं है. "भारत ने संकेत दिया है कि परमाणु ब्लैकमेल के युग की समाप्ति हो चुकी है," स्पेंसर ने कहा.
नई 'रेड लाइन' और राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत ने आतंकवाद से लड़ने के लिए एक नया और सार्वजनिक सिद्धांत प्रस्तुत किया है: "आतंकवाद और बातचीत साथ नहीं चल सकते. खून और पानी अब एक साथ नहीं बह सकते."
— John Spencer (@SpencerGuard) May 14, 2025
यह बयान केवल राजनीतिक नहीं है, यह एक नई सैन्य नीति की घोषणा है. भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि उसकी सहनशीलता की सीमा अब समाप्त हो चुकी है.
4 रणनीतिक संदेश जो पूरी दुनिया ने देखे
नवीन रेड लाइन:
भारत ने पहली बार घोषित किया कि अब आतंकी हमले का जवाब "कूटनीति" नहीं, बल्कि सैन्य कार्रवाई होगी.
सैन्य वर्चस्व:
भारत ने दिखाया कि वह पाकिस्तान की सीमा में घुसकर, न केवल आतंकी ठिकानों को, बल्कि सैन्य ठिकानों को भी सटीकता से ध्वस्त कर सकता है.
संयम के साथ आक्रामकता:
भारत ने बड़े पैमाने की जंग से बचते हुए सीमित लेकिन शक्तिशाली सैन्य कार्रवाई की. इससे यह संकेत गया कि भारत न तो पीछे हटेगा और न ही बेवजह उकसावे में आएगा.
अंतरराष्ट्रीय मदद के बिना कार्रवाई:
भारत ने यह ऑपरेशन पूरी तरह अपने दम पर किया—न संयुक्त राष्ट्र, न अमेरिकी मध्यस्थता, न अंतरराष्ट्रीय गठबंधन. यह आत्मनिर्भर रणनीतिक निर्णय था.
ऑपरेशन सिंदूर: एक पॉलिसी वॉर
स्पेंसर के अनुसार, यह ऑपरेशन आलोचकों को उत्तर भी देता है जो कहते हैं कि भारत को और आगे जाना चाहिए था. वे कहते हैं, “रणनीतिक सफलता हमेशा तबाही से नहीं, प्रभाव से मापी जाती है. यह ऑपरेशन भारत के संयम और सामर्थ्य दोनों का प्रदर्शन था.”
यह लड़ाई एक नक्शा बदलने के लिए नहीं थी, बल्कि भविष्य की रणनीतिक सोच का मानक स्थापित करने के लिए थी. "भारत ने युद्ध के पुराने खाके को नहीं अपनाया. इसने आधुनिक युद्ध की अवधारणा को अपनाया—तेज, सीमित, स्पष्ट और प्रभावशाली."
दुनिया की नजरें और वैश्विक प्रतिक्रिया
भारत की इस कार्रवाई को दुनिया भर में सैन्य विश्लेषकों और रक्षा विशेषज्ञों ने सराहा है. टॉम कूपर जैसे अंतरराष्ट्रीय सैन्य इतिहासकारों ने इसे एक "सटीक सैन्य विजन" बताया और कहा कि यह अभियान स्पष्ट रूप से भारत की जीत थी.
कई पश्चिमी रक्षा पत्रिकाओं ने भारत की इस रणनीति को "ग्लोबल टेम्प्लेट फॉर काउंटर-टेररिज्म" बताया है.
भारत की नई सैन्य परिभाषा
स्पेंसर ने अपनी रिपोर्ट के अंत में लिखा: "भारत का संयम उसकी कमजोरी नहीं, उसकी परिपक्वता है. और यह ऑपरेशन उसकी रणनीतिक परिपक्वता की मिसाल है. अब दुनिया को भारत को एक सक्रिय, निर्णायक और आत्मनिर्भर सैन्य शक्ति के रूप में देखना होगा—जो न केवल अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि वैश्विक आतंकवाद के विरुद्ध स्पष्ट रेखाएं भी खींचती है."
लेखक परिचय:
जॉन स्पेंसर – अमेरिकी सेना में वरिष्ठ अधिकारी रह चुके हैं, और वर्तमान में मॉडर्न वॉर इंस्टीट्यूट के चेयरमैन हैं. वे CNN, BBC, FOX, MSNBC जैसे चैनलों पर नियमित रूप से युद्धनीति और सैन्य रणनीति पर विश्लेषण देते हैं. उनके लेख न्यूयॉर्क टाइम्स, फॉरेन पॉलिसी, वॉल स्ट्रीट जर्नल आदि में प्रकाशित होते रहते हैं.
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