इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल सैयद असीम मुनीर को देश की सेना में सर्वोच्च सैन्य पद फील्ड मार्शल के तौर पर पदोन्नत किया गया है. यह फैसला ऐसे समय लिया गया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य टकराव और कूटनीतिक तनाव चरम पर हैं. इस विशेष सम्मान के बाद असीम मुनीर मृत्यु तक इस पद पर बने रहेंगे, यानी अब उनके रिटायरमेंट की कोई समयसीमा नहीं है.
गौरतलब है कि यह पाकिस्तान के इतिहास में दूसरी बार है जब किसी सैन्य अधिकारी को फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई है. इससे पहले जनरल अयूब खान को यह दर्जा दिया गया था, जिन्होंने देश में सैन्य शासन की शुरुआत की थी.
GHQ रावलपिंडी में सम्मान समारोह
जनरल हेडक्वार्टर (GHQ), रावलपिंडी में आयोजित समारोह में असीम मुनीर को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इसके बाद उन्होंने सेना को संबोधित करते हुए फिर से भारत के खिलाफ तीखा बयान दिया. उन्होंने कहा, "हमारी सेना भारत के 'कायरतापूर्ण आक्रमण' के सामने एक स्टील की दीवार बनकर खड़ी रही. यह सम्मान हमारे शहीदों और जांबाज़ सैनिकों को समर्पित है."
मुनीर के इस बयान को भारत के खिलाफ पाकिस्तान की एक और कूटनीतिक प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया.
ऑपरेशन सिंदूर बनाम बनयान-उम-मर्सूस
भारत के ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के भीतर 9 प्रमुख आतंकी ठिकानों को सटीकता से नष्ट किया गया, जिनमें मुंबई हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर का परिवार भी मारा गया. इस हमले में 100 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है.
इसके जवाब में पाकिस्तान ने "ऑपरेशन बनयान-उम-मर्सूस" शुरू किया, परंतु यह अभियान अपेक्षित परिणाम नहीं दे सका. भारत ने जवाबी कार्रवाई में सिर्फ 90 मिनट के भीतर पाकिस्तान के 12 एयरबेस को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया. पाकिस्तान को अमेरिका और अन्य देशों की मध्यस्थता का सहारा लेना पड़ा.
ड्रोन, मिसाइल हमले और भारत की कार्रवाई
पाकिस्तान द्वारा भारत पर ड्रोन हमलों की कोशिशें नाकाम रहीं, भारतीय सुरक्षा बलों ने समय रहते उन्हें मार गिराया. इसके बाद पाकिस्तान ने फतेह-2 मिसाइल लॉन्च कर स्थिति को और भड़काने की कोशिश की.
जवाब में भारत ने वायुसेना के जरिए रणनीतिक हमले किए, जिससे पाकिस्तान को भारी सैन्य और नागरिक नुकसान उठाना पड़ा.
पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर 13 सैनिकों और 53 नागरिकों की मौत की बात मानी है, जबकि ज़मीनी रिपोर्ट्स में यह संख्या 100 से अधिक बताई जा रही है.
सैन्य संतुलन या राजनीतिक रणनीति?
असीम मुनीर की यह पदोन्नति पाकिस्तान की सरकार द्वारा सेना के प्रति एकजुटता का प्रदर्शन हो सकती है. यह निर्णय ऐसे वक्त लिया गया है जब देश आंतरिक अस्थिरता, अंतरराष्ट्रीय दबाव और सैन्य विफलताओं से जूझ रहा है.
विश्लेषकों का मानना है कि फील्ड मार्शल का दर्जा देकर सेना की भूमिका को और मज़बूत किया जा रहा है, ताकि घरेलू असंतोष और भारत से मिल रही जवाबी कार्रवाइयों पर आंतरिक दबाव कम किया जा सके.
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