ना झुकेंगे, ना डरेंगे... अमेरिका के बाद नाटो ने भी दिखाई बौखलाहट, भारत ने दिया करारा जवाब; S-400 का क्या होगा?

    यूक्रेन युद्ध के चलते रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव और बढ़ता जा रहा है. इस संघर्ष में रूस की सैन्य शक्ति को लेकर पश्चिमी देशों की बौखलाहट साफ तौर पर देखी जा सकती है.

    After America NATO panic India reply
    पीएम मोदी-ट्रंप-मार्क रूटे | Photo: ANI

    यूक्रेन युद्ध के चलते रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव और बढ़ता जा रहा है. इस संघर्ष में रूस की सैन्य शक्ति को लेकर पश्चिमी देशों की बौखलाहट साफ तौर पर देखी जा सकती है. खासतौर पर, यूक्रेन युद्ध में रूस की लगातार बढ़त और पश्चिमी देशों की निरंतर असफलता ने उन्हें रणनीतिक रूप से बेहद असहज कर दिया है. इसके चलते अब अमेरिका और नाटो देशों का ध्यान भारत और चीन जैसे रूस के व्यापारिक साझेदारों पर केंद्रित हो गया है.

    रूस से तेल खरीदने पर 500 प्रतिशत तक टैरिफ

    अमेरिका ने हाल ही में एक विधेयक पेश किया है जिसमें रूस से तेल खरीदने पर 500 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने का प्रस्ताव है. इसके अलावा, नाटो के महासचिव मार्क रूटे ने भारत और चीन को चेतावनी दी है कि अगर रूस अगले 50 दिनों में शांति के लिए तैयार नहीं होता है तो इन देशों को रूस से तेल खरीदने पर 100 प्रतिशत का सेकेंडरी टैरिफ लगाया जाएगा. यह चेतावनी भारत के लिए नई नहीं है, क्योंकि इससे पहले भी पश्चिमी देशों ने भारत को रूस से रिश्ते तोड़ने के लिए दबाव डाला था.

    भारत ना झुकेगा, ना डरेगा

    भारत ने इस दबाव को नजरअंदाज करते हुए, अपनी स्वतंत्र और रणनीतिक नीति को बरकरार रखा है. पिछले साल जब भारत ने रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टेम खरीदी थी, तब भी अमेरिका ने भारत को धमकियां दी थी. अमेरिका का कहना था कि अगर भारत ने रूस से यह सिस्टम खरीदी, तो उस पर CAATSA (Countering America's Adversaries Through Sanctions Act) के तहत प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. लेकिन भारत ने अपने राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखते हुए इस डील को जारी रखा और साबित किया कि यह कदम देश की सुरक्षा के लिए जरूरी था.

    रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने का भारत का फैसला सही साबित हुआ जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस सिस्टम ने भारत को पाकिस्तान द्वारा दागी गई मिसाइलों से बचाया. यही कारण है कि भारत ने किसी भी विदेशी दबाव को खारिज करते हुए रूस से अपने रिश्ते मजबूत बनाए हैं.

    रूस से तेल खरीदने से पीछे नहीं हटेगा भारत

    अब यूक्रेन युद्ध के बीच, जब नाटो देशों को यह साफ हो गया है कि वे रूस को दबाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं, तो वे भारत को निशाना बनाने की धमकियां दे रहे हैं. इन धमकियों का कोई असर नहीं हुआ और भारत ने नाटो देशों को स्पष्ट संदेश दिया कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस से तेल खरीदने से पीछे नहीं हटेगा.

    इस संकट के दौरान भारत ने न केवल अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया बल्कि दुनिया भर में तेल की कीमतों को भी नियंत्रित रखा. भारत ने रूस से खरीदा हुआ तेल रिफाइन कर यूरोप के देशों को भी आपूर्ति की, जिससे दुनिया भर के देशों को लाभ हुआ. नाटो देशों के बीच बढ़ती बौखलाहट और धमकियों के बावजूद, भारत ने अपनी नीति पर कायम रहते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि वह वही करेगा जो उसके राष्ट्रीय हित में होगा, चाहे फिर वह पश्चिमी देशों को कितना भी क्यों न चिढ़ाए.

    ये भी पढ़ेंः भारत की आकाश प्राइम या अमेरिका की पैट्रियट मिसाइल, कौन है ज्यादा ताकतवार? जानिए आसमान पर किसका होगा राज