तुर्किए के बाद अब ड्रैगन के खिलाफ भारत का एक्शन शुरू, चीन की इस कंपनी से अडानी ग्रुप ने तोड़ा करार

    भारत की प्रमुख अवसंरचना और परिवहन कंपनियों में से एक अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड ने चीन की ड्रैगनपास इंटरनेशनल लिमिटेड के साथ अपनी साझेदारी को समाप्त कर दिया है.

    Adani Group has broken the agreement with this Chinese company
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    नई दिल्ली: भारत की प्रमुख अवसंरचना और परिवहन कंपनियों में से एक अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड ने चीन की ड्रैगनपास इंटरनेशनल लिमिटेड के साथ अपनी साझेदारी को समाप्त कर दिया है. यह कदम देश की राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं और विदेशी कंपनियों के डेटा प्रबंधन को लेकर बढ़ती सतर्कता के बीच लिया गया है.

    ड्रैगनपास एक अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म है जो यात्रियों को हवाई अड्डों पर लाउंज एक्सेस सहित अन्य प्रीमियम सेवाएं प्रदान करता है. लेकिन अब यह सेवा अडानी समूह द्वारा प्रबंधित भारतीय हवाई अड्डों पर उपलब्ध नहीं होगी.

    रणनीतिक चिंताएं मुख्य कारण

    ड्रैगनपास जैसी कंपनियां यात्रियों की संवेदनशील जानकारी — जैसे पासपोर्ट डिटेल्स, यात्रा इतिहास और भुगतान डेटा — तक पहुंच रखती हैं. हाल के वर्षों में चीनी कंपनियों के डेटा हैंडलिंग पर वैश्विक स्तर पर कई बार सवाल उठ चुके हैं. भारत सरकार और निजी संस्थानों की ओर से इस दिशा में सतर्क और निर्णायक कदम देखने को मिल रहे हैं.

    अडानी ग्रुप की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यह निर्णय यात्रियों की सुरक्षा और डेटा गोपनीयता को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के दृष्टिकोण से लिया गया है. हालांकि, ग्रुप ने स्पष्ट किया है कि इससे एयरपोर्ट पर अन्य यात्रियों के अनुभव या सेवाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

    तुर्की कंपनियों के खिलाफ भी कार्रवाई

    अडानी की यह कार्रवाई उस व्यापक संदर्भ में देखी जा रही है, जहां भारत सरकार ने हाल ही में तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी ‘सेलेबी’ की सुरक्षा मंजूरी भी रद्द कर दी थी. नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) के आदेश पर, दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) ने सेलेबी के साथ अपना अनुबंध औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया.

    सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज और उससे जुड़ी कंपनियां देश के कई हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग और कार्गो सेवाओं का संचालन कर रही थीं. अब इन कार्यों के संचालन की जिम्मेदारी अन्य अनुमोदित सेवा प्रदाताओं को सौंपी जाएगी.

    भारत की बदलती निवेश रणनीति

    हालिया घटनाक्रम इस ओर संकेत करते हैं कि भारत अब विदेशी निवेश के साथ-साथ डेटा सुरक्षा, रणनीतिक गठबंधन और भू-राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखकर अपनी साझेदारियों की समीक्षा कर रहा है. पाकिस्तान के समर्थन को लेकर तुर्की, चीन और अज़रबैजान जैसी देशों की कंपनियों के खिलाफ जनभावनाएं और नीति स्तर पर सख्ती दोनों देखी जा रही हैं.

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