अमेरिकी हमले के बाद ईरान की डिप्लोमेटिक स्ट्राइक, पुतिन से मिलेंगे अराघची, अब मिडिल ईस्ट की जंग में कूदेगा रूस?

    Iran-Israel War: अमेरिका के इजराइल के समर्थन में खुलकर सामने आने के बाद ईरान के लिए अब अकेले ही हमलों का जवाब देना चुनौती बन गया है. रविवार को अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की घोषणा के बाद, ईरान को इस तनावपूर्ण स्थिति में मदद की तलाश है.

    Abbas Araghchi arrived in Russia to meet Putin after US attack
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Internet

    Iran-Israel War: अमेरिका के इजराइल के समर्थन में खुलकर सामने आने के बाद ईरान के लिए अब अकेले ही हमलों का जवाब देना चुनौती बन गया है. रविवार को अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की घोषणा के बाद, ईरान को इस तनावपूर्ण स्थिति में मदद की तलाश है. इस कठिन घड़ी में ईरान की नजरें रूस पर टिकी हैं, जो उसका पुराना और मजबूत सहयोगी रहा है.

    रूस की भूमिका और ईरान की उम्मीदें

    रूस ने पहले भी इजराइल के हमलों की आलोचना की है और अब अमेरिका के सीधा युद्ध में उतरने के बाद, ईरान का विदेश मंत्री अब्बास अराघची रूस के लिए रवाना हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि फिलहाल कूटनीति कोई विकल्प नहीं रह गई है, लेकिन वह पुतिन से मुलाकात करके इस संकट का हल तलाशने की कोशिश करेंगे. इस मुलाकात के बाद रूस की भूमिका और स्पष्ट हो सकती है. हालांकि, रूस ने अभी तक ईरान को खुलकर सैन्य मदद नहीं दी है, लेकिन पुतिन ने यह साफ किया है कि ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी में काम कर रहे रूसी वैज्ञानिकों को वापस नहीं बुलाया जाएगा, जो एक बड़ा संकेत माना जा रहा है.

    ‘अमेरिका ने पार की हर सीमा’

    ईरान के विदेश मंत्री अराघची ने अमेरिका के हमलों के बाद कहा कि अब कोई ऐसी रेड लाइन नहीं बची जिसे अमेरिका ने पार न किया हो. उनका मानना है कि कूटनीति के द्वार हमेशा खुले होने चाहिए, लेकिन फिलहाल इस समय वार्ता की कोई गुंजाइश नहीं दिखती. यह बयान साफ करता है कि ईरान हमलों के जवाब में कड़ा रुख अपना सकता है.

    अमेरिका के हमले के बाद ईरान का जवाब

    अमेरिका के हमलों के कुछ ही घंटों बाद, ईरान ने इजराइल के खिलाफ करीब 30 मिसाइलों से भारी हमला किया. ये मिसाइलें तेल अवीव, हाइफा जैसे प्रमुख शहरों में तबाही मचाने में कामयाब रहीं. यह जवाबी कार्रवाई इस जंग को और भी भड़काने वाली साबित हो सकती है. 

    अभी तक इस संघर्ष के बढ़ने की संभावना अधिक नजर आ रही है, क्योंकि दोनों तरफ से कार्रवाई तेज हो रही है. रूस की भूमिका इस स्थिति को किस दिशा में ले जाएगी, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा.

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